झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यकाल पूरा कर पाएंगे सोरेन?
रांची, 25 अगस्त (आईएएनएस)। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के मुखिया शिबू सोरेन जब भी केंद्र सरकार में मंत्री बने हैं या फिर झारखंड का मुख्यमंत्री, मुसीबतों के साथ उनका चोली दामन का साथ रहा है। सोरेन एक बार फिर राज्य का मुख्यमंत्री बनने को तैयार हैं। ऐसे में लाख टके का सवाल यह बना हुआ है कि क्या इस दफा सोरेन अपना कार्यकाल पूरा कर पाएंगे।
दिशुम गुरु या गुरुजी के नाम से मशहूर सोरेन मई 2004 में मनमोहन सिंह सरकार में मंत्री बने लेकिन महज दो महीने बाद ही उन्हें अपने पद से त्यागपत्र देना पड़ा। वर्ष 1975 में हुए चिरूडीह हत्याकांड मामले में उनके खिलाफ वारंट जारी हुआ। सोरेन इसके बाद भूमिगत हो गए लेकिन राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए एक आदेश के बाद जल्द ही उन्हें सूबे के जामताड़ा जिला अदालत में समर्पण करना पड़ा।
इस मामले में सोरेन दो महीने के लिए जेल में रहे। ज्ञात हो कि चिरूडीह हत्याकांड में 11 लोगों की हत्या हुई थी जिसमें नौ अल्पसंख्यक थे। सोरेन इस मामले में आरोपी थे।
इसके बाद 2004 के अक्टूबर माह में सोरेन एक बार फिर केंद्र सरकार में मंत्री बने लेकिन झारखंड का मुख्यमंत्री बनने के लिए उन्होंने मार्च 2005 को केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया।
दुर्भाग्य ने यहां भी सोरेन का पीछ नहीं छोड़ा। विधानसभा में बहुमत साबित करने में नाकाम रहने के कारण उन्हें सिर्फ 10 दिनों के भीतर ही झारखंड के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा।
झारखंड के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद सोरेन एक बार फिर केंद्र सरकार में मंत्री बने और साथ ही झारखंड में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के मुखिया भी। लेकिन एक बार फिर उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। इस दफा अपने निजी सचिव शशिनाथ झा हत्याकांड मामले में दिल्ली की एक अदालत ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई। बाद में 2007 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने उन्हें इस मामले से बरी कर दिया था।
बहरहाल, सोरेन के खिलाफ एक और मामला लंबित है। वह भी हत्या के एक मामले में गिरीडीह की जिला अदालत में। शिबू एक बार फिर राज्य का मुख्यमंत्री बनने की राह पर हैं। उन्हें राजद और निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त है। लेकिन उनका पिछला रिकार्ड देखकर सोरेन के चाहने वालों को भी यही चिंता सता रही है कि क्या उनके गुरुजी इस दफे अपना कार्यकाल पूरा कर पाएंगे।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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