बीजिंग ओलंपिक : ओलंपिक में भाग लेकर भी खुश हैं कुछ देश!
बीजिंग, 24 अगस्त (आईएएनएस)। ओलंपिक में दुनिया भर के देशों ने भाग लिया, अनेक ने पदक जीते लेकिन कुछ देशों के लिए तो यहां अपनी हिस्सेदारी ही महत्वपूर्ण रही और उन्हें इस पर गर्व भी है।
मसलन, प्रशांत क्षेत्र के दो अत्यंत छोटे देशों मार्शल और तुवालु ने पहली बार ओलंपिक में भागीदारी की। मार्शल के चीफ डी मिशन एंथनी मुल्लर ने कहा, "हमें यहां तक आने में आधी सदी का समय लगा। हमें भी सभी क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में शिरकत करनी चाहिए।" उनके देश से पांच एथलीट ओलंपिक में भाग लेने आए।
अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) भी कुछ छोटे देशों के उन खिलाड़ियों को यहां भागीदारी के लिए आमंत्रित करती है जो विभिन्न प्रतियोगिताओं में अच्छा प्रदर्शन करते हैं।
पापुआ न्यूगिनी की दिका तोउआ ने महिलाओं की 53 किलोग्राम वर्ग की भारोत्तोलन स्पर्धा में आठवां स्थान पाया वहीं उनके देश के तैराक राइन पिनि 100 मीटर बटरफ्लाई के फाइनल में पहुंचे।
गौरतलब है कि छोटे देशों की राह का सबसे बड़ा रोड़ा स्तरीय खिलाड़ियों की कमी नहीं बल्कि घरेलू खेल कार्यक्रमों की कमी और धन की कमी होती है। कुछ देशों की सरकारें तो खेल के लिए बिलकुल पैसा उपलब्ध नहीं करातीं।
जाहिर सी बात है कि अगर इन देशों के खिलाड़ियों को बेहतर बुनियादी सुविधाएं और बेहतर प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाए तो वे अपने प्रदर्शन से विश्वस्तरीय एथलीटों का मुकाबला कर सकते हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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