चंडीगढ़ के कला ग्राम को दिल्ली हाट की तर्ज पर विकसित किया जाएगा
चंडीगढ़, 24 अगस्त (आईएएनएस)। नई दिल्ली के दिल्ली हाट की तर्ज पर अब चंडीगढ़ के कला ग्राम में भी 70 से 80 दुकानें बनाई जाएंगी जहां कलाकार अपनी कलाकृतियों को प्रदर्शित कर सकेंगे और उन्हें बेच सकेंगे। उल्लेखनीय है दिल्ली हाट ग्रामीण परिवेश के बाजार के रूप में प्रसिद्ध है।
उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (एनजेडसीसी) के निदेशक आर. टी. जिंदल ने आईएएनएस को बताया, "हम कला ग्राम के एक हिस्से को दिल्ली हाट की तर्ज पर बना रहे हैं। यहां 70 से 80 दुकानें बनाई जाएंगी जो बहुत ही साधारण कीमत पर कलाकारों को दी जाएंगी। कलाकार और चित्रकार यहां अपनी कृतियों को प्रदर्शित कर सकेंगे और उन्हें बेच भी सकेंगे।"
उन्होंने कहा, "हमारा उद्देश्य अपने पारंपरिक कला और शिल्प को पहचान दिलाना, संरक्षित करना और प्रसिद्धि देना है साथ ही हम कलाकारों और शिल्पकारों को आर्थिक सहयोग देना चाहते हैं।"
जिंदल ने कहा कि हम कलाकारों और कला के कद्रदानों के बीच बिचौलिये की भूमिका को खत्म कर देंगे।
उन्होंने कहा कि हम दूसरे राज्यों से आने वाले कलाकारों को उचित कीमतों पर आवास और खाना भी उपलब्ध कराएंगे। कला ग्राम से क्षेत्र का पर्यटन बढ़ेगा जिससे प्रशासन को लाभ होगा।
कला ग्राम के लिए 1995 में यह क्षेत्र आवंटित किया गया था और 2000 में इसकी शुरुआत हुई। इसे चंडीगढ़ प्रशासन और एनजेडसीसी के संयुक्त प्रयास से शुरू किया गया है। इसका मुख्य कार्यालय पटियाला में और उपकार्यालय चंडीगढ़ में बनाया गया है।
कला ग्राम के कार्यक्रम अधिकारी यशविंदर शर्मा ने बताया, "यह भारत का सबसे बड़ा शिल्प पार्क है जिसमें एक साथ 200 शिल्पकार अपनी कृतियां प्रदर्शित कर सकते हैं। उनकी कृतियां लकड़ी, पत्थर, मेटल और मिट्टी की बनी होंगी। हम विभिन्न राज्यों के शिल्पकारों को आमंत्रित करते हैं और उन्हें मूर्ति बनाने के लिए दुकानें भी आवंटित करेंगे। कला ग्राम की योजना का पहला चरण पूरा हो चुका है और हमने दूसरे चरण की शुरुआत कर दी है।"
उन्होंने कहा कि हमारी एक इनडोर आडिटोरियम, वातानुकूलित बाज़ार, और गंदी बस्तियों में रहने वाले बच्चों के लिए स्कूल बनाने की योजना है। इसकी स्वीकृति मिल चुकी है और इस पर काम हो रहा है।
कला ग्राम ने विभिन्न राज्यों की विभिन्न सांस्कृतिक अकादमियों से अनुबंध किए हैं। यहां पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर से कलाकार नियमित रूप से अपनी कला के प्रदर्शन के लिए आते हैं।
इंडो एशियन न्यूज सर्विस।
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