उपले और लकड़ी इस्तेमाल करते हैं 86 फीसदी ग्रामीण
कोलकाता, 23 अगस्त (आईएएनएस)। ग्रामीण इलाकों के करीब 86 प्रतिशत लोग जलावन के लिए आज भी उपलों और लक ड़ियों का इस्तेमाल करते हैं। यह जानकारी एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने दी।
'ऊर्जा सुरक्षा पर समेकित नीति' विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए योजना आयोग के सदस्य किरीट एस. पारिक ने शुक्रवार को कहा,"भारत में 85 प्रतिशत से ज्यादा लोग जलावन के लिए लकड़ियां इकट्ठा करने में 30 अरब घंटे खर्च करते हैं। इसके अलावा वर्ष 2007-08 में कच्चे तेल के 131 टन उत्पादों की खपत हुई।"
उन्होंने कहा कि देश के पास अगले 50 वर्षो के लिए ही कोयले का भंडार है, जबकि भारत में ज्यादातर बिजली उत्पादन संयंत्र कोयला आधारित हैं। उन्होंने कहा कि इस समस्या से बचने का एक ही तरीका है कि उपलब्ध संसाधनों के जरिए परमाणु ऊर्जा पैदा की जाए।
पारिक ने कहा कि देश में अन्य देशों से यूरेनियम आयात किए बगैर वर्ष 2050 तक 208 गीगावाट (जीडब्ल्यू)बिजली उत्पादन करने की क्षमता है। यदि भारत परमाणु आपूर्तिकर्ता देशों के समूह (एनएसजी) के सदस्यों से यूरेनियम आयात करने में कामयाब हो जाता है, तो वह बिजली उत्पादन की क्षमता बढ़ाकर 275गीगावाट कर सकता है।
पारिक प्रधानमंत्री की ऊर्जा समन्वय समिति के भी सदस्य हैं। उन्होंने कहा कि आर्थिक समृद्धि के लिए परमाणु ऊर्जा आवश्यक है और भारत में किफायती ऊर्जा की प्रचुर संभावनाएं हैं।
इंडो-एशियन न्यूज एजेंसी।
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