उड़ीसा के समुद्री तट पर कछुओं का अस्तित्व खतरे में
जतिंद्र दास
जतिंद्र दास
भुवनेश्वर, 23 अगस्त (आईएएनएस)। उड़ीसा के समुद्री तट के क्षरण की वजह से समुद्री कछुओं का जीवन खतरे में पड़ गया है। वन्यजीव कार्यकर्ता बिस्वजीत मोहंती ने आगाह किया है कि नए बंदरगाह के निर्माण से समस्या विकट हो सकती है।
राज्य के वन्यजीव समिति के सचिव मोहंती ने आईएएनएस से कहा, "विश्व में कछुओं की 50 प्रतिशत से अधिक आबादी उड़ीसा के समुद्र तट पर है। राज्य सरकार को समुद्र तट के क्षरण को रोकने के प्रयास करने चाहिए, कहीं ऐसा न हो कि सभी कछुए समुद्रतट को अलविदा कह दें।"
यहां देवी व रुशीकुलिया नदी के समुद्री मुहाने और गहिरमाथा समुद्र तट पर बड़ी संख्या में कछुए पाए जाते हैं। मोहंती ने कहा कि समुद्री तट के क्षरण के साथ-साथ नए बंदरगाहों से जहाजों की आवाजाही शुरू होने पर कछुओं के अस्तित्व का संकट और गहरा सकता है।
जानकारी के अनुसार राज्य सरकार ने प्रमुख नदियों के मुहानों पर 12 नए बंदरगाहों के निर्माण की घोषणा की है। मोहंती के अनुसार गत तीन या चार वर्षो से त्वरित गति से राज्य के समुद्रीतट का क्षरण हो रहा है। राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईओटी) द्वारा वर्ष 2006 में किए गए एक अध्ययन के अनुसार 476 किलोमीटर लंबे समुद्रतट में 107.6 किलोमीटर लंबा समुद्रतट इससे बुरी तरह प्रभावित है।
एनआईओटी के अध्ययन के अनुसार वर्ष 1966 में पारादीप बंदरगाह के निर्माण के बाद गत तीन दशकों में गहिरमाथा समुद्री अभ्यारण्य को काफी क्षति पहुंची है।
मोहंती ने कहा, "मैंने इस समस्या की तरफ ध्यान आकर्षित करते हुए मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को एक पत्र लिखा है।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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