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बिस्मिल्ला खां की दूसरी बरसी पर उनके चाहने वालों में रोष

By Staff
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वाराणसी, 21 अगस्त (आईएएनएस)। गंगा जमुनी तहजीब के पोषक रहे तथा शहनाई के उस्ताद भारत रत्न बिस्मिल्ला खान की दूसरी बरसी पर उनकी मजार पर पहुंचने वाले लोगों में जहां उस्ताद के प्रति गहरी श्रद्धा दिखाई दी वहीं उनकी समाधि स्थल पर कई बार सरकार की तरफ से किए गए वायदे के बावजूद भी अभी तक एक स्मारक नहीं बनाए जाने पर रोष भी दिखाई दिया।

कभी बिस्मिल्ला खान की शहनाई की महफिल में हजारों लोग हुआ करते थे लेकिन आज उनकी बरसी पर मात्र उनके घर वाले ही पहुंचकर उन्हें याद किए। वाराणसी के फातमान में बनाई गई उनकी कब्र के आसपास आज साफ सफाई की गयी थी तथा लोंगो के बैठने के लिए कई दर्जन कुर्सियों का भी इंतजाम किया गया था। क्योंकि उनके घर वालों को उम्मीद थी कि उनकी कब्र पर आज काफी लोग आएंगे, लेकिन कुर्सियां खाली की खाली ही रह गईं। अलबत्ता दिल्ली में उनकी याद में आज जारी डाक टिकट की चर्चा यहां होती रही।

खां साहब के नजदीकी कहे जाने वाले मंजुल अंसारी ने दिल्ली में जारी डाक टिकट पर ऐतराज जाहिर करते हुए कहा कि बिस्मिल्ला खां ऐसी शख्सियत थे कि अमेरिका में बसने के अवसर को ठुकरा कर उन्होंने गंगा के किनारे वाराणसी में रहना मंजूर किया, लेकिन आज जब उनके नाम पर डाक टिकट जारी भी किया जा रहा है तो दिल्ली के एक बंद कमरे में। अंसारी ने कहा कि यही डाक टिकट जारी करने का कार्यक्रम वाराणसी में उनकी मजार पर किया गया होता तब उस्ताद के प्रति असली श्रद्धांजलि होती।

कोलकाता से सपरिवार खां साहब की मजार पर आये बासू भट्टाचार्य ने आश्चर्य व्यक्त किया कि खां साहब का इंतकाल हुए दो साल हो गए लेकिन आज तक कब्र पर एक स्मारक नहीं बन पाया। भट्टाचार्य ने कहा कि खां साहब की कद्र बनारस के लोग करना नहीं जानते, उनकी कद्र देखनी हो तो बनारस के बाहर निकलकर देखिए।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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