क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

दिल्ली की माटी से उपजेंगे कई और सुशील

By Staff
Google Oneindia News

नई दिल्ली, 21 अगस्त (आईएएनएस)। बीजिंग ओलंपिक में सुशील कुमार की जीत ने देशभर के कुश्तीप्रेमियों को खुशी मनाने का मौका दिया है। आधी शताब्दी से भी अधिक समय पहले 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक में महाराष्ट्र के खासाबा दादासाहेब जाधव ने पहली बार कुश्ती का कांस्य जीता था।

नई दिल्ली, 21 अगस्त (आईएएनएस)। बीजिंग ओलंपिक में सुशील कुमार की जीत ने देशभर के कुश्तीप्रेमियों को खुशी मनाने का मौका दिया है। आधी शताब्दी से भी अधिक समय पहले 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक में महाराष्ट्र के खासाबा दादासाहेब जाधव ने पहली बार कुश्ती का कांस्य जीता था।

इन 56 वर्षो में भारतीय पहलवान एक बार भी ओलंपिक में जादू नहीं बिखेर सके। हालांकि 1965 में नई दिल्ली में आयोजित विश्व चैंपियनशिप में विश्वम्भर सिंह का रजत पदक जीतना मामूली सफलता नहीं थी, लेकिन वह ओलंपिक पदक नहीं था क्योंकि ओलंपिक पदक जैसा कुछ नहीं होता।

सुशील की जीत ने दिल्ली को खास खुशी दी है। बपरौला का यह लाल पक्का दिल्लीवाला है। जब हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपने होनहार मुक्केबाजों के लिए लाखों के पुरस्कार की घोषणा की तो सुशील की जीत से खुश दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने भी 50 लाख रुपये के इनाम की घोषणा कर डाली।

यही नहीं, मुख्यमंत्री ने छत्रसाल स्टेडियम सेंटर में सुशील को प्रशिक्षण देने वाले कोच सतपाल को अपनी सरकार के शिक्षा मंत्रालय के खेल विभाग में उपनिदेशक का पद दे दिया।

सुशील का गांव भारतीय क्रिकेट टीम के सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग के पुश्तैनी घर नजफगढ़ से ज्यादा दूर नहीं, लेकिन आप जब वहां जाएंगे तो पाएंगे कि वहां के लोगों के मन में क्रिकेट के लिए कोई जगह नहीं। आपको तो यहां तक सुनने को मिल सकता है कि 'ये किरकेट-सिरकेट क्या होता है'?

जैसा कि सुशील के पिता दीवान सिंह ने कहा है, "सुशील पूरे गांव का बेटा है। उसे यहां के नौ साल के बच्चे से लेकर नब्बे साल के बुजुर्ग का सहयोग प्राप्त है।" अपने पिता की इस वाणी को सही साबित करते हुए सुशील ने जीत के बाद सभी को धन्यवाद दिया। माता-पिता, कोच, देशवासियों और यहां तक अपने गांव के बच्चे-बच्चे को।

गांव के खुले माहौल के अलावा कुश्ती शहरों के भीड़भाड़ वाले इलाके में भी बसती है। अब दिल्ली के सब्जी मंडी इलाके से ज्यादा भीड़ कहां देखने को मिलेगी। यहीं पर है गुरु हनुमान का मिट्टी का अखाड़ा, जहां वे अपने शिष्यों को कुश्ती के गुर सिखाते हैं।

जामा मस्जिद और लाल किले के बीच स्थिति मैदानों में कुश्ती की प्रतियोगिताओं का आयोजन होते देखा जा सकता है। इन मुकाबलों के दौरान 'क्या दांव मारा' का शोर हमेशा ही सुनने को मिल जाएगा। यही नहीं, कई दर्शक ऐसे भी मिल जाएंगे, जो दांव से खुश होकर पहलवान को 100 रुपये का नोट भेंट करना नहीं भूलते।

दिल्ली को कुश्ती के अंतर्राष्ट्रीय मंच पर सबसे पहले 1970 में एडिनबर्ग राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान वेद और सुरेश कुमार प्रकाश लेकर आए थे। उस साल 16 साल के वेद प्रकाश और 18 साल के सुरेश ने स्वर्ण जीता था।

उस जमाने में टीवी नहीं था, लेकिन इसके बावजूद ये दो पहलवान तथा उनके मार्गदर्शक गुरु हनुमान घर-घर में लोकप्रिय हो गए थे। इसका कारण यह था कि इन पहलवानों की सफलता को डाक्यूमेंट्री के माध्यम से सिनेमा घरों में फिल्म शुरू होने से पहले दिखाया गया था।

इस सफलता के बाद बिरला मिल के पास स्थित गुरु हनुमान का अखाड़ा विस्तार लेने लगा। माता-पिता बड़ी शिद्दत से अपने बच्चों को गुरु की अकादमी में लेकर आने लगे। वे कहते, "गुरुजी मेरे बच्चे को मर्द बना दो।"

हनुमान का काम इन बच्चों को मर्द बनाना था। हालांकि वे इन मर्दो को चैंपियन नहीं बना सके। यही वह जगह है, जहां हनुमान ने सतपाल को प्रशिक्षित किया। यह वही सतपाल हैं, जिन्हें आज सुशील कुमार के कोच के तौर जाना जाता है। सतपाल 1982 के एशियाई खेलों में हेवीवेट वर्ग का स्वर्ण जीत चुके हैं।

दिल्ली के अखाड़ों के बारे में कहा जाता है कि, 'यहां की मिट्टी में कुछ खास है'। आने वाले समय में अखाड़ों की जगह मैट (कुश्ती की चटाई) ने ले ली। यह खेल आधुनिक तरीके से लड़ा जाने लगा, लेकिन पुरानी परंपरा पर दिल्ली ने हमेशा गर्व किया। सुशील की जीत के साथ इसे और बल मिला।

दिल्ली के लोग तो यही आशा कर रहे हैं कि इस मिट्टी से और सुशील कुमार निकलें और देश के साथ-साथ ठीक उसी तरह दिल्ली का नाम रोशन करें, जैसा सुशील की जीत के बाद बपरौला का नाम रोशन हुआ है।

(के.दत्ता वरिष्ठ खेल पत्रकार हैं। इनसे दत्ताके2007 रेडिफमेल डॉट कॉम पर संपर्क किया जा सकता है)

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X