हाजीपुर में रहता है 100 सदस्यों का एक 'महापरिवार'
पटना, 21 अगस्त (आईएएनएस)। आज समाज में जहां एकल परिवार का चलन दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है और संयुक्त परिवार खत्म होते जा रहे हैं, वैसे में अगर आपको 100 सदस्यों वाले एक परिवार के बारे में पता चले तो आप निश्चित तौर पर हैरान होंगे।
पटना, 21 अगस्त (आईएएनएस)। आज समाज में जहां एकल परिवार का चलन दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है और संयुक्त परिवार खत्म होते जा रहे हैं, वैसे में अगर आपको 100 सदस्यों वाले एक परिवार के बारे में पता चले तो आप निश्चित तौर पर हैरान होंगे।
बिहार के वैशाली जिला मुख्यालय हाजीपुर शहर से लगभग सात किलोमीटर दूर स्थित कुतुबपुर गांव में एक ऐसा परिवार है, जिसके लगभग सौ सदस्य एक साथ रहते हैं। यह परिवार है शहीद पुलिस निरीक्षक धर्मदेव सिंह का। विशाल आकार के कारण इस परिवार को हाजीपुर के लोग 'महापरिवार' कहते हैं।
धर्मदेव सिंह की पत्नी 80 वर्षीया शिवज्योति देवी इस परिवार की सबसे बुजुर्ग सदस्य है वही परिवार की मुख्य धुरी हैं। शिवज्योति देवी ने आईएएनएस को बताया कि पूर्वजों के धर्म और पुण्य से आज उनका परिवार एक है। उन्होंने बताया, "मेरे पांच पुत्र और एक पुत्री हैं, जिनसे इतना बड़ा परिवार फैला है। सभी बेटों की शादी हो चुकी है और इन सभी की पत्नियां संस्कारी व सुशिक्षित हैं"।
शिवज्योति देवी ने बताया कि बड़े पुत्र उमाशंकर सिंह एक बैंक में महाप्रबंधक हैं। उमाशंकर के दो बच्चे इंजीनियर हैं, जबकि पांच बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। दूसरे पुत्र गणेश सिंह उच्च न्यायालय के अधिवक्ता हैं। इनका एक पुत्र जहां इंजीनियर है वहीं दूसरा बैंक ऑफ अमेरिका में कार्यरत है। इनकी दो पुत्रियां अभी कॉलेज की शिक्षा ग्रहण कर रही हैं।
शिवज्योति देवी बताती हैं कि इनके अलावा उनके तीन पुत्र उदय शंकर सिंह, चन्द्रशेखर प्रसाद सिंह तथा अवधेश कुमार सिंह भी सुशिक्षित हैं। शिवज्योति देवी को अपने संयुक्त परिवार पर नाज है। वे कहती हैं कि परिवार के सदस्य उनकी हर बात को आदर के साथ स्वीकार करते हैं।
इस महापरिवार की सभी औरतें मिलजुल कर खाना बनाती हैं। दोपहर का भोजन करीब ढाई बजे होता है, जिसमें घर के सभी सदस्य एक साथ जमीन पर बैठ कर भोजन करते हैं। शिवज्योति देवी दावे के साथ कहती हैं कि उनके पति ने पुलिस सेवा में रहते हुए ईमानदारी से अपना काम किया है, यह उसी का परिणाम है कि आज उनका परिवार खुश है।
शिवज्योति देवी ने कहा कि आज इस परिवार में चार पीढ़ी के लोग रहते हैं फिर भी 'जेनरेशन गैप' वाली कोई बात नहीं। खाने के दौरान ही किसी मुद्दे पर फैसला ले लिया जाता है। इस परिवार के जानने वाले शशिभूषण का मानना है कि आज यह महापरिवार अपने पारंपरिक मूल्यों और संस्कारों के बल पर संयुक्त परिवार की प्रेरणा और मिसाल बन गया है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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