मुशर्रफ देश छोड़कर नहीं जाएंगे
मंगलवार को स्थानीय टीवी चैनल 'एक्सप्रेस न्यूज' के हवाले से मुशर्रफ ने कहा कि उन्होंने देश हित में अपना इस्तीफा दिया है लेकिन पाकिस्तान छोड़ने का उनका कोई इरादा नहीं है।
चैनल की रिपोर्ट के मुताबिक मुशर्रफ ने कहा कि देशप्रेम उन्हें पाकिस्तान छोड़ने की इजाजत नहीं दे रहा है। मुशर्रफ ने सोमवार को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा था कि वह देशहित में पद छोड़ रहे हैं। उनके इस्तीफे के बाद मीडिया ने खबर दी थी कि वे पाकिस्तान छोड़ने का फैसला कर चुके हैं।
उधर ब्रिटेन के समाचार पत्र 'डेली टेलीग्राफ' ने पाकिस्तान में पश्चिमी देशों के एक वरिष्ठ राजनयिक के हवाले से खबर दी है कि सबसे पहले मुशर्रफ एक धार्मिक यात्रा पर सऊदी अरब जाएंगे, लेकिन उनका अंतिम गंतव्य लंदन हो सकता है।
ब्रिटिश सरकार ने तो खबर के बारे में कोई भी टिप्पणी नहीं की, लेकिन दुबई और अबु धाबी के साथ- साथ लंदन भी एक लंबे अर्से से पाकिस्तान के निर्वासित राजनीतिज्ञों की पसंदीदा जगह रहा है।
सेना या नागरिक प्रशासन द्वारा निर्वासित कर देने के बाद पाकिस्तानी नेता लंदन को ना सिर्फ अपने मिजाज शांत करने के लिए इस्तेमाल करते रहे हैं, बल्कि कई बार अमेरिकी और ब्रिटिश सरकारों के सहयोग से समझौते भी करते रहे हैं।
पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो अपने पिता जुल्फिकार अली भुट्टो को जनरल जिया उल हक द्वारा अपदस्थ करने और फिर फांसी पर लटका दिए जाने के बाद बरसों लंदन में रहीं।
उन्होंने खुाद के लिए और अपने पिता की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के लिए अंतर्राष्ट्रीय समर्थन जुटाने के वास्ते लंदन के रणनीतिक और राजनीतिक महत्व का इस्तेमाल किया।
बेनजीर को भ्रष्टाचार के आरोपों से खुद को बचाने के लिए भी दोबारा लंदन आना पड़ा। पिछले वर्ष पाकिस्तान लौटने से पहले बेनजीर ने अपना वक्त दुबई और लंदन में बिताया।
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने अपना निर्वासित जीवन सऊदी अरब के रियाद में बिताया, लेकिन उनकी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) का पार्टी कार्यालय वहीं रहा।
ब्रिटेन में पीपीपी और पीएमएल-एन दोनों के समर्थकों की बड़ी तादाद है। शरीफ और बेनजीर के पति आसिफ अली जरदारी के बीच हाल में कई बैठके लंदन में ही हुईं।
मुत्ताहिदा
कौमी
मूवमेंट(एमक्यूएम)
के
नेता
अल्ताफ
हुसैन
अपने
और
अपने
समर्थकों
के
खिलाफ
सैन्य
कार्रवाई
के
बाद
1992
से
ही
लंदन
में
हैं।
वे
कराची
में
अपने
समर्थकों
को
वीडियो
लिंक
के
जरिए
संबोधित
करते
हैं।बेनजीर
के
पुत्र
बिलावल
भुट्टो
जरदारी
भी
ऑक्सफोर्ड
यूनिवर्सिटी
के
छात्र
हैं
और
लंदन
में
ही
रहते
हैं।