बीजिंग ओलंपिक : सुशील ने सबको चौंकाते हुए कुश्ती में कांस्य जीता (लीड-1)
बीजिंग, 20 अगस्त (आईएएनएस)। फ्रीस्टाइल पहलवान सुशील कुमार ऐसे समय में भारत को कुश्ती में कांस्य पदक दिलाने में सफल रहे, जब सबकी निगाहें मुक्केबाजों पर लगी थीं। सुशील की सफलता ने भारत को बीजिंग ओलंपिक में दूसरा पदक दिलाया।
सुशील ने 66 किलोग्राम भार वर्ग में कजाकिस्तान के पहलवान लियोनिद स्पीरिदोनोव
को पराजित कर यह कामयाबी हासिल की। ओलंपिक की कुश्ती स्पर्धा में भारत को दूसरा पदक मिला है। 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक में जाधव ने फ्रीस्टाइल बेंटमवेट भार वर्ग में भारत के लिए पहली बार कांस्य पदक जीता था।
सुबह के मुकाबले में सुशील उक्रेन के पहलवान एंद्रेई स्टाडनिक से अंकों के आधार पर हार गए थे, लेकिन फाइनल में स्थान बनाने के साथ स्टाडनिक सुशील को बीजिंग में अपनी चुनौती बरकरार रखने का मौका दे गए।
सुशील को यह मौका इसलिए मिला, क्योंकि उनके साथ के सभी मुक्केबाज भी उन्हीं की तरह फाइनल में पहुंचने वाले मुक्केबाजों से हार गए थे। लिहाजा रिपैकेज (एक ऐसा दौर जहां कम अंतर से हारे खिलाड़ी को अगले दौर में जाने का मौका मिलता है) के तहत सुशील को तीन और मुक्केबाजों से लड़ने का मौका मिला और उन्होंने अपने तीनों मुकाबले जीतकर भारत के लिए कांस्य पदक सुरक्षित किया।
मुकाबले के बाद 25 वर्षीय सुशील ने कहा, "मैं सुबह का मुकाबला भी जीत सकता था, लेकिन भाग्य ने मेरा साथ नहीं दिया और उक्रेन के मुक्केबाज फाइनल में पहुंचने में सफल रहे। हालांकि रिपैकेज से मुझे राहत मिली। अगले तीन मुकाबले मेरे लिए कठिन थे। मेरा करियर मेरे गुरु सतपाल सिंह के नाम है। मैं यह पदक उनके नाम करता हूं।"
पहला मुकाबला जीतने के बाद सुशील को यह जानने में लगभग एक घंटे 40 मिनट लगे कि वे मुकाबले में बने हुए हैं या फिर बाहर हो गए हैं। जब सेमीफाइनल में स्टाडनिक ने स्पीरिदोनोव को हरा दिया, तब यह साफ हो सका कि वे रिपैकेज में शामिल हो सकते हैं।
रिपैकेज के पहले दौर में सुशील ने अमेरिका के डाउग श्वाब को पराजित किया और फिर दूसरे दौर में उन्होंने बेलारूस के अल्बर्ट बैतीरोव को धूल चटाई। तीसरे और आखिरी मुकाबले में वह स्पीरिदोनोव को हराकर पदक पाने में सफल रहे।
तीन बार के एशियाई चैंपियन और भारतीय टीम के प्रबंधक करतार सिंह सुशील की सफलता से बेहद खुश दिखे। उन्होंने कहा, "भारतीय कुश्ती के लिए यह महान सफलता है। इससे इस खेल को काफी बढ़ावा मिलेगा।"
एथेंस ओलंपिक में 14वें स्थान पर रहे सुशील एकमात्र भारतीय पहलवान हैं जिन्होंने सितंबर में अजरबेजान में आयोजित विश्व चैंपियनशिप के माध्यम से ओलंपिक में खेलने की योग्यता हासिल की थी। विश्व चैंपियनशिप में वे सातवें स्थान पर रहे थे। इसके बाद उन्होंने कोरिया में आयोजित एशियाई चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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