बीजिंग ओलंपिक : सुशील ने जीता कांस्य, इनामों की बरसात (लीड-2)
बीजिंग, 20 अगस्त (आईएएनएस)। बीजिंग ओलंपिक की कुश्ती स्पर्धा में कांस्य पदक जीतने के साथ ही भारतीय पहलवान सुशील कुमार पर पुरस्कारों की झड़ी लग गई है। मुकाबला जीतने के महज कुछ घंटे के भीतर ही सुशील को अलग-अलग महकमों से एक करोड़ 65 लाख रुपये का पुरस्कार मिल चुका है।
सबसे पहले दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने सुशील को 50 लाख रुपये देने की घोषणा की। इसके बाद केंद्रीय खेलमंत्री एम.एस. गिल ने ओलंपिक खेल कोटे के तहत सुशील को 20 लाख रुपये देने की घोषणा की। सुशील भारतीय इस्पात प्राधिकरण (सेल) में कार्यरत हैं।
सुशील के नाम पुरस्कार की घोषणा करते हुए शीला दीक्षित ने कहा, "सुशील ने महान सफलता हासिल की है। वे दिल्ली के लिए नए स्पोर्ट्स आइकॉन हैं। मैं उन्हें 50 लाख रुपये का पुरस्कार देने की घोषणा करती हूं। सुशील के कोच सतपाल को भी तरक्की मिलेगी।"
इसके अलावा केंद्रीय रसायन, उवर्रक और इस्पात मंत्री रामविलास पासवान ने भी सुशील को 15 लाख रुपये देने की घोषणा की। पासवान की उदारता से प्रभावित होकर रेलमंत्री लालू यादव ने भी सुशील के नाम 55 लाख रुपये के पुरस्कार की घोषणा कर डाली।
पासवान ने कहा, "दो साल पहले हमने दो खिलाड़ियों को आगे ले जाने का फैसला किया था। सुशील उनमें से एक थे। हमने हमेशा उनका साथ दिया है। मुझे खुशी है कि उन्होंने देश का नाम रोशन किया है। हम उनका शानदार स्वागत करेंगे। मैंने सेल के अध्यक्ष से सुशील को तरक्की देने के लिए कह दिया है।"
फ्रीस्टाइल पहलवान सुशील ऐसे समय में भारत को कुश्ती में कांस्य पदक दिलाने में सफल रहे, जब सबकी निगाहें मुक्केबाजों पर लगी थीं। सुशील की सफलता ने भारत को बीजिंग ओलंपिक में दूसरा पदक दिलाया।
सुशील ने 66 किलोग्राम भार वर्ग में कजाकिस्तान के पहलवान लियोनिद स्पीरिदोनोव को पराजित कर यह कामयाबी हासिल की।
ओलंपिक की कुश्ती स्पर्धा में भारत को दूसरा पदक मिला है। 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक में जाधव ने फ्रीस्टाइल बेंटमवेट भार वर्ग में भारत के लिए पहली बार कांस्य पदक जीता था।
सुबह के मुकाबले में सुशील उक्रेन के पहलवान एंद्रेई स्टाडनिक से अंकों के आधार पर हार गए थे, लेकिन फाइनल में स्थान बनाने के साथ स्टाडनिक सुशील को बीजिंग में अपनी चुनौती बरकरार रखने का मौका दे गए।
सुशील को यह मौका इसलिए मिला क्योंकि उनके साथ के सभी मुक्केबाज भी उन्हीं की तरह फाइनल में पहुंचने वाले मुक्केबाजों से हार गए थे। लिहाजा रिपैकेज (एक ऐसा दौर जहां कम अंतर से हारे खिलाड़ी को अगले दौर में जाने का मौका मिलता है) के तहत सुशील को तीन और मुक्केबाजों से लड़ने का मौका मिला और उन्होंने अपने तीनों मुकाबले जीतकर भारत के लिए कांस्य पदक सुरक्षित किया।
मुकाबले के बाद 25 वर्षीय सुशील ने कहा, "मैं सुबह का मुकाबला भी जीत सकता था, लेकिन भाग्य ने मेरा साथ नहीं दिया और उक्रेन के मुक्केबाज फाइनल में पहुंचने में सफल रहे। हालांकि रिपैकेज से मुझे राहत मिली। अगले तीन मुकाबले मेरे लिए कठिन थे। मेरा करियर मेरे गुरु सतपाल सिंह के नाम है। मैं यह पदक उनके नाम करता हूं।"
पहला मुकाबला जीतने के बाद सुशील को यह जानने में लगभग एक घंटे 40 मिनट लगे कि वे मुकाबले में बने हुए हैं या फिर बाहर हो गए हैं। जब सेमीफाइनल में स्टाडनिक ने स्पीरिदोनोव को हरा दिया, तब यह साफ हो सका कि वे रिपैकेज में शामिल हो सकते हैं।
रिपैकेज के पहले दौर में सुशील ने अमेरिका के डाउग श्वाब को पराजित किया और फिर दूसरे दौर में उन्होंने बेलारूस के अल्बर्ट बैतीरोव को धूल चटाई। तीसरे और आखिरी मुकाबले में वह स्पीरिदोनोव को हराकर पदक पाने में सफल रहे।
तीन बार के एशियाई चैंपियन और भारतीय टीम के प्रबंधक करतार सिंह सुशील की सफलता से बेहद खुश दिखे। उन्होंने कहा, "भारतीय कुश्ती के लिए यह महान सफलता है। इससे इस खेल को काफी बढ़ावा मिलेगा।"
एथेंस ओलंपिक में 14वें स्थान पर रहे सुशील एकमात्र भारतीय पहलवान हैं जिन्होंने सितंबर में अजरबेजान में आयोजित विश्व चैंपियनशिप के माध्यम से ओलंपिक में खेलने की योग्यता हासिल की थी। विश्व चैंपियनशिप में वे सातवें स्थान पर रहे थे। इसके बाद उन्होंने कोरिया में आयोजित एशियाई चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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