किशोर मां की स्थिति पर एक दिवसीय कार्यशाला
नई दिल्ली, 20 अगस्त (आईएएनएस)। महाराष्ट्र में शादीशुदा किशोर लड़कियों के लिए चलाए गए कार्यक्रम 'सेफ एडोलसेंट ट्रांजीशन एंड हेल्थ इनीशिएटिव' (साथी) नामक कार्यक्रम की उपलब्धियों पर चर्चा के लिए गुरुवार को केंद्र सरकार के प्रतिनिधि, योजना आयोग के सदस्य, प्रमुख नीति निर्माता और सामाजिक संगठनों के सदस्य एक कार्यशाला में एकत्रित होंगे।
साथी नामक यह प्रारंभिक परियोजना पचोड के 'इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ मैनेजमेंट' (आईएचएमपी) द्वारा तैयार की गई है। साथी से यह पता चला है कि अल्प आयु में गर्भधारण से मातृ मृत्युदर और प्रसवोत्तर बीमारियों में वृद्धि होती है, लेकिन उचित यौन एवं स्वास्थ्य शिक्षा उपलब्ध कराने पर इन समस्याओं को दूर किया जा सकता है।
'मेकिंग मैरिड एडोलसेंट्स मैटर - नीड्स, इंटरवेंशन एंड पालिसीज फॉर मैरिड एडोलसेंट्स' नामक इस एक दिवसीय कार्यशाला में किशोर उम्र की मांओं के लिए नीतियों और उचित हस्तक्षेप की आवश्यकता पर बल दिया जाएगा। आईएचएमपी के आंकड़ों से संकेत मिलता है कि जरूरी स्वास्थ्य सुविधाएं और सूचनाएं उपलब्ध कराए जाने पर न केवल किशोरियों की विवाह उम्र में इजाफा हुआ बल्कि उनका पहला गर्भधारण भी अधिक उम्र में हुआ।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 10 से 19 वर्ष आयु के लोगों को किशोर (एडोलसेंट) के रूप में परिभाषित किया है। यद्यपि वर्तमान में इस आयु के युवाओं के लिए 'राष्ट्रीय युवा नीति', 'राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन' और 'रिप्रोडक्टिव एंड चाइल्ड हेल्थ 2' आदि अनेक कार्यक्रम और नीतियां बनाई गईं हैं लेकिन इनमें से किसी का मुख्य ध्यान शादीशुदा किशोरियों पर नहीं है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
**