बीजिंग ओलंपिक : सुशील और विजेंदर ने भारत को दी दोहरी खुशी (राउंडअप)
बीजिंग, 20 अगस्त (आईएएनएस)। पहलवान सुशील कुमार और मुक्केबाज विजेंदर कुमार ने बुधवार (20 अगस्त, 20080) को भारतीय खेल जगत में अमर करते हुए देश के करोड़ों खेलप्रेमियों को दोहरी खुशी दी। सुशील ने ऐसे समय में कांस्य पदक जीता, जब करोड़ों देशवासियों की निगाहें मुक्केबाजों पर लगी थीं।
फ्रीस्टाइल स्पर्धा में एक के बाद एक तीन पहलवानों को परास्त कर सुशील ने जब अपना नाम इतिहास में अमर कर लिया, तो भला विजेंदर कहां पीछे रहने वाले थे। विजेंदर ने भी मुक्केबाजी स्पर्धा के सेमीफाइनल में पहुंचने के साथ भारत के नाम एक पदक सुरक्षित कर इस दिन को यादगार बना दिया।
सुशील ने 66 किलोग्राम भार वर्ग में कजाकिस्तान के पहलवान लियोनिद स्पीरिदोनोव को पराजित कर इतिहास रचा। सुशील की सफलता ने भारत को बीजिंग ओलंपिक में दूसरा पदक दिलाया। इसके अलावा ओलंपिक की कुश्ती स्पर्धा में भारत को दूसरा पदक मिला। 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक में के. सी. जाधव ने फ्रीस्टाइल बेंटमवेट भार वर्ग में भारत के लिए पहली बार कांस्य पदक जीता था।
सुशील की इस जीत पर राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बधाई दी। अपने संदेश में राष्ट्रपति ने कहा, "मैं आपकी इस सफलता पर बेहद खुश हूं। मुझे आप पर गर्व है।" प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा, "कांस्य पदक जीतने पर मैं आपको बधाई देता हूं। आने वाले दिनों में आपकी यह सफलता युवाओं को प्रेरित करेगी।"
इस कामयाबी के महज कुछ घंटों के भीतर भारतीय इस्पात प्राधिकरण (सेल) में कार्यरत सुशील के नाम एक करोड़ 85 लाख रुपये के पुरस्कार की घोषणा हो गई। दिल्ली सरकार ने उन्हें 50 लाख, केंद्रीय खेलमंत्री एम.एस. गिल ने 20 लाख, केंद्रीय रसायन, उवर्रक और इस्पात मंत्री रामविलास पासवान ने 15 लाख, रेलमंत्री लालू यादव ने 55 लाख, सेल ने 25 लाख, हरियाणा सरकार ने 25 लाख और महाराष्ट्र सरकार ने पांच लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की है।
अब सुशील के मुकाबले की बात करते हैं। सुबह के मुकाबले में सुशील उक्रेन के पहलवान एंद्रेई स्टाडनिक से अंकों के आधार पर हार गए थे, लेकिन फाइनल में स्थान बनाने के साथ स्टाडनिक सुशील को बीजिंग में अपनी चुनौती बरकरार रखने का मौका दे गए।
सुशील को यह मौका इसलिए मिला, क्योंकि उनके साथ के सभी पहलवान भी उन्हीं की तरह फाइनल में पहुंचने वाले पहलवानों से हार गए थे। लिहाजा रिपैकेज (एक ऐसा दौर जहां कम अंतर से हारे खिलाड़ी को अगले दौर में जाने का मौका मिलता है) के तहत सुशील को तीन और पहलवानों से लड़ने का मौका मिला और उन्होंने अपने तीनों मुकाबले जीतकर भारत के लिए कांस्य पदक सुरक्षित किया।
मुकाबले के बाद 25 वर्षीय सुशील ने कहा, "मैं सुबह का मुकाबला भी जीत सकता था, लेकिन भाग्य ने मेरा साथ नहीं दिया और उक्रेन के पहलवान फाइनल में पहुंचने में सफल रहे। हालांकि रिपैकेज से मुझे राहत मिली। अगले तीन मुकाबले मेरे लिए कठिन थे। मेरा करियर मेरे गुरु सतपाल सिंह के नाम है। मैं यह पदक उनके नाम करता हूं।"
पहला मुकाबला जीतने के बाद सुशील को यह जानने में लगभग एक घंटे 40 मिनट लगे कि वे मुकाबले में बने हुए हैं या फिर बाहर हो गए हैं। जब सेमीफाइनल में स्टाडनिक ने स्पीरिदोनोव को हरा दिया, तब यह साफ हो सका कि वे रिपैकेज में शामिल हो सकते हैं। रिपैकेज के पहले दौर में सुशील ने अमेरिका के डाउग श्वाब को पराजित किया और फिर दूसरे दौर में उन्होंने बेलारूस के अल्बर्ट बैतीरोव को धूल चटाई। तीसरे और आखिरी मुकाबले में वह स्पीरिदोनोव को हराकर पदक पाने में सफल रहे।
तीन बार के एशियाई चैंपियन और भारतीय टीम के प्रबंधक करतार सिंह सुशील की सफलता से बेहद खुश दिखे। उन्होंने कहा, "भारतीय कुश्ती के लिए यह महान सफलता है। इससे इस खेल को काफी बढ़ावा मिलेगा।"
कांस्य पदक जीतकर सुशील ने अपने गांव बोपराला को विश्व कुश्ती मानचित्र में स्थापित कर दिया है। पश्चिमी दिल्ली के नजफगढ़ के पास स्थित इस गांव के लोग आज खुद पर गर्व कर रहे हैं। आलम यह है कि पूरा बोपराला जश्न में डूबा है। गांव का हर घर सुशील को अपना बेटा बता रहा है।
एमटीएनएल में ड्राइवर के पद पर कार्यरत सुशील के पिता दीवान सिंह ने कहा कि उनके बेटे ने उनसे स्वर्ण का वादा किया था, इसे लेकर तो सुशील थोड़े निराश होंगे, लेकिन उनके बेटे की इस जीत ने उनके गांव का नाम रोशन कर दिया।
दीवान सिंह ने बताया कि वह खुद भी कुश्ती के दीवाने थे, लेकिन परिवार की खस्ताहाल स्थिति ने उन्हें अपनी दीवानगी से अलग कर दिया। अपने शौैक को परिस्थिति की बलि चढ़ते देख दीवान सिंह ने ठान लिया था कि वे अपने बेटे को इस हाल में नहीं पहुंचने देंगे। दीवान सिंह ने कहा, "सीमित संसाधनों के बावजूद मैंने हमेशा चाहा कि मेरा बेटा देश का शीर्ष पहलवान बने। आज मैं बेहद खुश हूं। मेरे बेटे ने मेरा सपना पूरा कर दिया।"
भारत को दूसरी खुशी मुक्केबाज विजेंदर ने दी। विजेंदर ने सेमीफाइनल में पहुंचकर भारत के लिए एक और पदक पक्का कर दिया। वे ओलंपिक के सेमीफाइनल में पहुंचने वाले देश के पहले मुक्केबाज बने।
75 किलोग्राम मिडिलवेट वर्ग के क्वार्टर फाइनल में विजेंदर की शानदार जीत के साथ भारत के खाते में एक और पदक आना तय हो गया है। विजेंदर ने इक्वाडोर के मुक्केबाज कार्लोस गोंगोरा को 9-4 से पराजित कर भारतीय खेल प्रेमियों को दिन की दूसरी खुशखबरी सुनाई। पहली खुशखबरी पहलवान सुशील कुमार ने कांस्य जीतकर सुनाई थी।
विजेंदर ने अपने साथियों की हार से सीख लेते हुए मुकाबले की शुरुआत से ही अटैक (आक्रमण) और डिफेंस (रक्षा) का बेहतरीन तालमेल दिखाया। इसी का नतीजा था कि वे पहले दौर में 2-0 की बढ़त हासिल कर चुके थे। बाद के तीन दौर में भी उन्होंने सटीक रणनीति का पालन करते हुए अतिआत्मविश्वास को खुद पर हावी नहीं होने दिया और मुकाबला जीतकर इतिहास कायम कर दिया।
जीत के बाद विजेंदर ने कहा, "मैं फाइनल में जगह बनाउंगा और देश के लिए स्वर्ण जीतकर दिखाउंगा। इस मुकाबले को लेकर मैं किसी तरह का जोखिम नहीं ले सकता था, लिहाजा हमने सटीक रणनीति बनाई थी और उसी पर अपना ध्यान केंद्रित रखा। मुझे खुशी है कि हमारी रणनीति काम आई और मैं अपने देश को गौरव दिला सका। मेरी तमन्ना स्वर्ण जीतने की है। मैं इसे लेकर मेहनत कर रहा हूं।"
हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने मुक्केबाजी में भारत के खाते में पदक सुनिश्चित कराने वाले विजेंदर के नाम 50 लाख रुपये का पुरस्कार और उपपुलिस अधीक्षक की कुर्सी का ऐलान कर दिया।
इससे पहले, 51 किलोग्राम फ्लाईवेट वर्ग के क्वार्टर फाइनल मुकाबले में भारत के एक अन्य मुक्केबाज जितेंदर कुमार रूस के ग्रेगरी बलाकशीन के हाथों 11-15 से हार गए। जितेंदर ने हालांकि शानदार प्रदर्शन किया, लेकिन उन्हें जीत नहीं मिल सकी। अपने प्रेरणास्रोत अखिल कुमार की मौजूदगी में जितेंदर ने बेहद आक्रामक खेल दिखाया और पहले दौर में 1-2 से पिछड़ जाने के बावजूद मैच में वापसी की।
अपनी शानदार इच्छाशक्ति के दम पर दूसरे दौर में जितेंदर ने स्कोर 6-7 कर दिया था। हालांकि तीसरा दौर उनके लिए ठीक नहीं रहा और वे तीन बार के यूरोपीय चैंपियन के खिलाफ 8-13 से पिछड़ गए। अंतिम दौर में जितेंदर ने वापसी करने की भरपूर कोशिश की, लेकिन पांच अंकों की बढ़त हासिल कर चुके बलाकशीन ने उन्हें वापसी का मौका नहीं दिया और मुकाबला जीतकर सेमीफाइनल में स्थान पक्का किया।
जितेंदर की हार के बाद उनके दोस्त, प्रेरणास्रोत और गुरु अखिल ने कहा, "बलाकशीन बहुत अनुभवी मुक्केबाज हैं। जितेंदर ने उनके खिलाफ जबरदस्त खेल दिखाया। हालांकि वह हार गए, लेकिन उनकी हार एकतरफा नहीं कही जा सकती।"
बुधवार को सबसे पहले भारत को टेबल टेनिस में अचंत शरत कमल की हार की खबर सुनने को मिली थी। शरत को चीनी मूल के आस्ट्रेलियाई खिलाड़ी चेन वेइझिंग ने दूसरे दौर में पराजित किया। चेन ने शरत को माऊ 32 मिनट में 11-5, 14-12, 11-2, 8-11, 12-10 से पराजित किया। शरत की हार के साथ टेबल टेनिस में भारत की चुनौती समाप्त हो गई।
हार के बाद शरत ने कहा, "मैं चेन के खिलाफ कुछ नहीं कर पाया। मेरा फोरहैंड ही मेरी ताकत है, लेकिन आज उसने भी मेरा साथ नहीं दिया। मैंने महत्वपूर्ण मौकों पर कई बड़ी गलतियां कीं।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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