ब्रह्मपुत्र में बढ़ रही है 'गंगा की डाल्फिनों' की संख्या
नई दिल्ली, 19 अगस्त (आईएएनएस)। लुप्तप्राय जीवों में शुमार 'गंगा नदी की डाल्फिनों' की ब्रह्मपुत्र नदी क्षेत्र में बढ़ती संख्या ने संरक्षणविदों के चेहरों पर मुस्कान ला दी है। दुनिया में इस प्रजाति की मात्र 2,000 डाल्फिनें शेष बची हैं।
नई दिल्ली, 19 अगस्त (आईएएनएस)। लुप्तप्राय जीवों में शुमार 'गंगा नदी की डाल्फिनों' की ब्रह्मपुत्र नदी क्षेत्र में बढ़ती संख्या ने संरक्षणविदों के चेहरों पर मुस्कान ला दी है। दुनिया में इस प्रजाति की मात्र 2,000 डाल्फिनें शेष बची हैं।
डाल्फिन की यह प्रजाति भारत, नेपाल और बांग्लादेश की गंगा-ब्रह्मपुत्र-मेघना और कर्णफुली नदियों में पाई जाती हैं। उन्नीसवीं सदी में ये डाल्फिनें बहुतायत में पाई जाती थीं। बाद में तेल और चमड़ी के लिए इनका अंधाधुंध शिकार किया गया, जिससे इनकी संख्या में तेजी से गिरावट आई।
एक गैर सरकारी संगठन अरण्यक द्वारा हाल ही में कराए गए सर्वेक्षण के मुताबिक 2005 से अब तक 15 डाल्फिनों की बढ़ोतरी हुई है। सन 2005 में इनकी संख्या 250 थी, जो अब 265 हो चुकी है।
सन 1996 में अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) ने डाल्फिनों की घटती संख्या पर ध्यान दिया और इन्हें विलुप्तप्राय जीवों की श्रेणी में डाल दिया। वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के अनुसार भी ये जीव संरक्षित हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार चूंकि ब्रह्मपुत्र नदी में कोई जल विकास परियोजना नहीं चल रही है इसलिए यह क्षेत्र इन डाल्फिनों के विकास के लिए उपयुक्त है।
गुवाहाटी में गंगा की डाल्फिन शोध एवं संरक्षण कार्यक्रम का नेतृत्व कर रहे अब्दुल वाकिद ने आईएएनएस से बताया, "पिछले दो दशकों से इस क्षेत्र में डाल्फिनों की संख्या में आ रही कमी चिंता का कारण बनी हुई थी लेकिन अब आशा की एक किरण नजर आई है।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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