कश्मीर मुद्दे पर बुद्धिजीवी आगे आयें: प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस बात को लेकर दुखी हैं कि तमाम प्रयासों के बाद भी इस मामले का अभी तक कोई हल नहीं निकला है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस मामले के हल के लिए राजनीतिक पार्टियों के अलावा बुद्धिजीवी वर्ग को भी आगे आन की जरूरत है।
प्रधानमंत्री के इस बयान के बाद भी हालांकि घाटी के हालात में कोई अंतर नहीं देखने को मिला। वो इसलिए क्योंकि लोग अब तक नहीं समझ सके हैं कि सरकार इस मामले को सुलझाने के लिए क्या कदम उठा रही है।
मनमोहन सिंह ने जम्मू-कश्मीर के लोगों और विभिन्न संगठनों के नेताओं से शान्ति की अपील की है।
उधर सोमवार को लोगों का हुजूम स्थानीय संयुक्त राष्ट्र पर्यवेक्षक दफ्तर जाना चाहता था, लेकिन अधिकारियों ने उन्हें ऐसा नहीं करने दिया। उधर, अमरनाथ भूमि मामले में जम्मू में हजारों हिंदुओं ने अपनी गिरफ्तारी दी।
अलगाववादी संगठन हुर्रियत कांफ्रेंस के कट्टरपंथी नेता सैयद अली शाह गिलानी ने जम्मू कश्मीर के पाकिस्तान के साथ विलय की मांग की तो हुर्रियत के उदारवादी नेता स्वतंत्रता और कश्मीर मुद्दे पर त्रिपक्षीय बातचीत की मांग कर रहे थे।
घाटी में हजारों लोगों ने सोमवार को आजाद कश्मीर की मांग के साथ यहां एकत्रित होकर पाकिस्तान और इस्लाम समर्थक नारे लगाते हुए श्रीनगर स्थित संयुक्त राष्ट्र कार्यालय की ओर बढ़ना शुरू किया, जहां उन्होंने ज्ञापन सौंपे।
जनसभा को संबोधित करते हुए गिलानी ने कहा कि पाकिस्तान के साथ विलय के अतिरिक्त कश्मीर मुद्दे का कोई हल नहीं है। हम पाकिस्तानी हैं और पाकिस्तान हमारा है क्योंकि हम उससे इस्लाम के माध्यम से जुड़े हुए हैं। गिलानी ने कहा कि घाटी पर थोपी गई आर्थिक नाकेबंदी के मद्देनजर ज्ञापन में कश्मीर मसले के स्थायी समाधान के लिए संयुक्त राष्ट्र से हस्तक्षेप करने की मांग की गई है।
वहीं हुर्रियत के उदारवादी धड़े के साथ एक मंच पर गिलानी ने कहा कि कश्मीर के अलगाववादियों के बीच नेतृत्व का मुद्दा हल हो चुका है। इससे पहले हुर्रियत के उदारवादी नेता मीरवाइज उमर फारुक ने कश्मीर मुद्दे पर त्रिपक्षीय बातचीत की मांग की थी। उन्होंने भारत से कश्मीर मुद्दे पर बातचीत शुरू करने, श्रीनगर-मुजफ्फराबाद मार्ग को व्यापार के लिए खोलने और भारतीय जेलों में बंद सभी कश्मीरियों को रिहा करने की मांग की।
स्वतंत्रता समर्थक नेता यासिन मलिक ने कहा कि हम भारत और पाकिस्तान दोनों के शासन से अलग कश्मीरी आजादी चाहते हैं।
आंदोलन
के
कारण
जम्मू
में
बंद
जैसा
माहौल
बना
हुआ
है।
सड़कों
पर
वाहनों
की
संख्या
काफी
कम
है।
यहां
घरेलू
गैस
सिलेंडरों
की
सबसे
अधिक
किल्लत
महसूस
की
जा
रही
है।