रूस ने पर्यवेक्षकों की तैनाती को दी स्वीकृति (लीड-1)
ब्रसेल्स/न्यूयार्क, 19 अगस्त (आईएएनएस)। रूस ने मंगलवार को जार्जिया के अलगाववादी प्रांत दक्षिणी ओस्सेतिया में 'आर्गनाइजेशन फॉर सिक्युरिटी एंड कोआपरेशन इन यूरोप' (ओएससीई) के 20 सैन्य पर्यवेक्षकों की तत्काल तैनाती की मंजूरी दे दी है।
विएना में ओएससीई मुख्यालय में सारी रात चली बातचीत के बाद रूस ने अपनी सहमति दी। फिनलैंड के विदेश मंत्री और ओएससीई के प्रमुख एलेक्जेंडर स्टब्ब ने यह जानकारी देते हुए कहा, "हम अभी भी तिबलिसी से सकारात्मक संकेत पाने का इंतजार कर रहे हैं और हमें लगता है कि यह जानकारी जल्द मिल जाएगी।"
समाचार एजेंसी डीपीए ने स्टब्ब के हवाले से बताया कि ओएससीई के 56 में से 55 सदस्यों ने इस तैनाती पर अपनी सहमति प्रदान कर दी।
इससे पहले जार्जिया में हुए संघर्ष के पीड़ितों की सहायता के लिए संयुक्त राष्ट्र ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से 5.86 करोड़ डालर की राशि मुहैया कराने को कहा था।
संयुक्त राष्ट्र मानवीय कार्य संयोजन कार्यालय के मुताबिक इस धन से करीब एक लाख 30 हजार लोगों की जरूरतों को अगले छह माह तक पूरा किया जाएगा।
मानवीय मामलों और आपातकालीन सहायता संयोजन के सहायक महासचिव कैथरिन बर्ग ने कहा, "जार्जिया के लोगों की जरूरतों को देखते हुए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय सहायता करेगी।"
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक अंतर्राष्ट्रीय समुदाय पहले ही 2.3 करोड़ डालर की सहायता कर चुका है जिससे संयुक्त राष्ट्र के नौ एजेंसियों और 16 गैर सरकारी संगठनों को सहायता दी जाएगी।
पीड़ितों की सबसे बड़ी जरूरत भोजन, स्वास्थ्य और पोषण के अलावा सुरक्षा, रहने की व्यस्था और गैर-भोज्य पदार्थो की है।
इस बीच रेड क्रास ने जार्जिया के अलगाववादी प्रांत दक्षिणी ओस्सेतिया में काम करने से इनकार कर दिया है। जेनेवा स्थित रेड क्रास मुख्यालय में एक प्रवक्ता ने इसकी जानकारी दी।
सोमवार को प्रवक्ता अन्ना नेल्सन ने कहा कि स्थानीय प्रशासन के आश्वासन के बावजूद अंतर्राष्ट्रीय रेड क्रास समिति के अध्यक्ष जैकब केल्लेनबर्गर समस्या ग्रस्त क्षेत्र में प्रवेश करने में असमर्थ हैं।
नेल्सन ने कहा, "हम अभी भी वहां की मानवीय स्थिति का जायजा नहीं ले पाए हैं और हमारा मानना है कि दस दिन के बाद स्थिति और बदतर होगी।"
उधर रेड क्रास ने कहा कि उसने दक्षिण कॉकासस में 430 टन राहत सामग्री इकट्ठा कर रखा है। इनमें से कुछ सामग्री तबलिसी क्षेत्र में विस्थापितों के बीच बांटा गया लेकिन अधिकतर राहत सामग्री अब भी जार्जिया की राजधानी में पड़ा हुआ है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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