प्रचंड के सामने बाढ़ के रूप में पहली चुनौती (लीड-1)
काठमांडू, 19 अगस्त (आईएएनएस)। नेपाल के प्रधानमंत्री बनने के 24 घंटे के अंदर ही बाढ़ के रूप में पहली और बड़ी आपदा प्रचंड के समक्ष दस्तक दे चुकी है। नेपाल में बाढ़ ने सीमावर्ती इलाकों को पूरी तरह अपनी चपेट में ले लिया है और इन इलाकों के अब तक 35,000 से भी ज्यादा लोग बेघर हो चुके हैं।
काठमांडू, 19 अगस्त (आईएएनएस)। नेपाल के प्रधानमंत्री बनने के 24 घंटे के अंदर ही बाढ़ के रूप में पहली और बड़ी आपदा प्रचंड के समक्ष दस्तक दे चुकी है। नेपाल में बाढ़ ने सीमावर्ती इलाकों को पूरी तरह अपनी चपेट में ले लिया है और इन इलाकों के अब तक 35,000 से भी ज्यादा लोग बेघर हो चुके हैं।
जनता के नाम प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाले प्रचंड ने बाढ़ पीड़ितों के लिए प्रधानमंत्री राहत कोष से दो करोड़ नेपाली रुपये देने का आदेश दिया है। माओवादी सांसद किरण राय ने कहा कि प्रचंड ने चिकित्सा टीमों को भी प्रभावित क्षेत्रों में जाने का आदेश दिया है।
रविार की रात भारत-नेपाल सीमा पर सप्तकोशी नदी में पानी अधिक हो जाने से बांधों का कटाव हुआ और नेपाल के सुनसारी जिले तथा भारतीय राज्य बिहार के कुछ हिस्सों में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई।
राहतकार्य शुरू हो जाने के बावजूद अभी भी 10,000 लोग बाढ़ में फंसे हुए हैं। सोमवार से तीन लोग लापता बताए जा रहे हैं। सैकड़ों लोग सुरक्षित स्थानों की ओर रुख कर चुके हैं। बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में संचार व्यवस्था भी ठप पड़ गई है।
नेपाल के प्रसिद्ध कोशी वन्यजीव उद्यान पर भी बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। नेपाल को भारत के साथ जोड़ने वाला पूर्वी-पश्चिम राजमार्ग भी बाढ़ की चपेट में है और उस पर यातायात बाधित हो गया है।
इस बीच, नेपाल में बाढ़ के लिए भारत पर भी आरोप मढ़े जाने लगे हैं। एक स्थानीय नेपाली अधिकारी के अनुसार कुशाहा बांध भारत के सहयोग से बना था और उसमें घटिया किस्म की निर्माण सामग्री इस्तेमाल की गई थी।
नेपाली अधिकारियों के अनुसार कोशी नदी परियोजना के निर्माण, मरम्मत और रखरखाव की जिम्मेदारी बिहार सरकार की है।
बांध की मरम्मत में कोताही के आरोप के साथ ही नेपाल की ओर से भारतीय अधिकारियों पर नेपाल में बाढ़ की स्थिति को अनदेखा करने का भी आरोप लग रहा है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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