प्रचंड भारत नहीं चीन रवाना होंगे
उल्लेखनीय है कि भारत और नेपाल के बीच राजनीतिक रिश्ते हमेशा से बेहतर रहे हैं। याद दिला दें कि प्रचंड से पहले देश में राजशाही के खत्म होने के बाद प्रधानमंत्री बने गिरिजा प्रसाद कोइराला ने पहली विदेश यात्रा के रूप में नई दिल्ली की यात्रा की थी। चीन ने कोइराला को भी आमंत्रित किया था, लेकिन वे आंतरिक राजनीतिक स्थिति के कारण अपने दो कार्यकालों में बीजिंग नहीं जा सके।
फिलहाल वे इस हफ्ते बीजिंग ओलंपिक खेलों के समापन समारोह में भाग लेने चीन जाएंगे। यह उनकी पहली विदेश यात्रा होगी और कूटनीतिक तौर पर इस यात्रा को भारत पर चीन की जीत के रूप में देखा जा रहा है।
दरअसल बदलते राजनीतिक हालात को देखते हुए चीन ने राजनीतिक तौर पर नेपाल से निकटता बढ़ानी शुरु कर दी है। ओलंपिक उद्घाटन समारोह के लिए नेपाल के प्रथम राष्ट्रपति राम बरन यादव को भी चीनी अधिकारियों ने आमंत्रित किया था, लेकिन यादव उस वक्त चीन नहीं जा सकते थे। इस बात को कई अलग-अलग नजरिए से देखा जा रहा है। नेपाली मीडिया के एक धड़े का कहना था कि यादव ने भारत के दबाव में चीन की अपनी यात्रा रद्द की।
बहरहाल अब सबकी निगाहें प्रचंड के विदेश दौरे पर लगी हुई हैं। नेपाली विदेश मंत्रालय ने कहा कि प्रचंड ने आमंत्रण स्वीकार कर लिया है। प्रचंड कह चुके हैं कि वे माओ जेडोंग के गांव का दौरा करना पसंद करेंगे, जिनकी विचारधारा से नेपाली माओवादी प्रभावित हैं।