अखिल ने हारकर भी भारतीय मुक्केबाजी को जिंदा कर दिया
रोहतक (हरियाणा), 18 अगस्त (आईएएनएस)। बीजिंग ओलंपिक की मुक्केबाजी स्पर्धा के क्वार्टर फाइनल में सोमवार को भारतीय मुक्केबाज अखिल कुमार की हार वाकई निराशाजनक है, लेकिन इस हार ने भारतीय मुक्केबाजी को जिंदा कर दिया है। अब जबकि, भारत के दो और मुक्केबाज क्वार्टर फाइनल मुकाबला खेलने वाले हैं, करोड़ों भारतीय पदक की आस लगाए हुए हैं।
अखिल की हार पर उनके परिवार, रिश्तेदारों और दोस्तों को यकीन नहीं हुआ। हालांकि सच तो सच है, इसलिए उन्हें इसे स्वीकार करना पड़ा, लेकिन उनका मानना था कि अखिल में अंतिम चार में स्थान बनाने का माद्दा है।
अखिल के पिता श्रीभगवान ने बेटे की हार के बाद कहा, "हम निराश हैं, लेकिन इसके बावजूद मुझे अपने बेटे पर गर्व है। करोड़ों देशवासी उसके लिए दुआएं कर रहे थे। भविष्य में भी हम उससे अच्छे प्रदर्शन की आस लगाए हुए हैं। मुझे आशा है कि जितेंदर और विजेंदर अपने मैच जीतेंगे।"
अखिल के घर पर उनका मैच देख रहे साथी मुक्केबाज सुबोध ने पत्रकारों को बताया, " मुक्केबाज होने के नाते मैं मानता हू्ं कि अखिल ने इस मैच में एक भी गलती नहीं की। यह उसकी बदनसीबी रही कि उसके प्रतिद्वंद्वी का डिफेंस (रक्षा की शैली) बहुत अच्छा था। हम सब यह भी मानते हैं कि कुछ अंक अखिल के खाते में नहीं आए। कुल मिलाकर वह बहादुरी से लड़कर हारा।"
अखिल के कोच जगदीश सिंह अखिल की हार को लेकर निराश हैं, लेकिन उन्हें इस बात की खुशी है कि अखिल ओलंपिक क्वार्टर फाइनल में पहुंचने वाले पहले भारतीय मुक्केबाज बने।
जितेंदर और विजेंदर के भी कोच रह चुके जगदीश ने कहा, "पहले दो राउंड में दोनों बराबरी पर थे, लेकिन तीसरे और चौथे राउंड में उसके प्रतिद्वंद्वी ने बढ़िया प्रदर्शन किया। इसी ने परिणाम बदल दिया।"
हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि अखिल की हार निराशाजनक है, लेकिन वे जिस तरह शानदार प्रदर्शन करते हुए क्वार्टर फाइनल तक पहुंचे, वह वाकई काबिलेतारीफ है।
बकौल हुड्डा, "अखिल भले ही हार गए हैं, लेकिन उनके प्रदर्शन ने मुक्केबाजी को जिता दिया है। अब हम जान गए हैं कि हरियाणा में जबरदस्त प्रतिभा है। इसे ध्यान में रखते हुए हम खिलाड़ियों और उनके कोचों के लिए बेहतर प्रशिक्षण सुविधाएं मुहैया कराने का प्रयास करेंगे।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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