बांग्लादेश में उर्दू भाषी नागरिक मताधिकार से वंचित
ढाका, 16 अगस्त (आईएएनएस)। बांग्लादेश में उर्दू भाषी गैर बंगाली नागरिक दिसंबर में होने वाले आम चुनावों में वोट नहीं दे पाएंगे। न्यायालय के आदेश के बावजूद निर्वाचन आयोग ने इनको मतदाता नहीं बनाया और शुक्रवार को मतदाता सूची बनाने की कवायद समाप्त कर दी।
निर्वाचन आयोग द्वारा शुक्रवार को मतदाता सूची बनाने का काम बंद करने के बाद 'द न्यू एज' समाचार पत्र ने लिखा है, "उनको मतदाता सूची में दर्ज करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया।"
अनेकों वर्ष तक कई प्राधिकरणों के सामने मुकदमेबाजी और याचिकाओं के बाद एक उच्च न्यायालय ने मई में देश भर के 161 शिविरों में रह रहे 160,000 लोगों को नागरिकता प्रदान की थी।
इन लोगों को बांग्लादेश में बिहारी कहा जाता है, इनके पूर्वज भारतीय स्वतंत्रता के समय 1947 में पूर्वी पाकिस्तान चले गए थे।
पाकिस्तान से 1971 में हिंसक अलगाव के बाद बांग्लादेश के उदय के समय इनमें से अधिकांश लोगों द्वारा पाकिस्तान जाने की जिद ने इन्हें नए देश में 'असहाय पाकिस्तानी' बना दिया।
पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच वर्षो की वार्ता के बाद पाकिस्तान ने 100,000 लोगों को स्वीकार किया है। लेकिन अभी भी पिछले 36 सालों से 300,000 लोग अंतर्राष्ट्रीय रेडक्रास समिति के निरीक्षण में शिविरों में रह रहे हैं।
उच्च न्यायालय ने 18 मई को दिए अपने निर्णय में कहा था कि देश में स्वतंत्रता के समय से ही यहां रह रहे उर्दू भाषी लोग देश की संप्रभुता के प्रति निष्ठा रखते हैं और बांग्लादेश के नागरिक हैं। न्यायालय ने इनको मतदाता के रूप में दर्ज करने के लिए कदम उठाने को कहा था।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।