पाक की ओर इशारा करते हुए प्रधानमंत्री ने की कश्मीर में शांति की अपील (राउंडअप)
नई दिल्ली, 15 अगस्त (आईएएनएस)। जम्मू कश्मीर में फैली अशांति को चिंता का विषय बताते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि नागरिकों और राजनीतिक दलों को विभाजनकारी राजनीति को छोड़कर राज्य की समस्या का एक स्थायी समाधान निकालने में सहयोग करना चाहिए।
नई दिल्ली, 15 अगस्त (आईएएनएस)। जम्मू कश्मीर में फैली अशांति को चिंता का विषय बताते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि नागरिकों और राजनीतिक दलों को विभाजनकारी राजनीति को छोड़कर राज्य की समस्या का एक स्थायी समाधान निकालने में सहयोग करना चाहिए।
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर शुक्रवार को लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने चेतावनी दी कि जुलाई में काबुल में भारतीय दूतावास पर हुए आत्मघाती हमल ने भारत और पाकिस्तान के बीच बेहतर संबंधों के निर्माण की कोशिशों को कमजोर किया है।
उन्होंने कहा , "इस मुद्द्े पर मैंने व्यक्तिगत तौर पर अपनी चिंता और निराशा से पाकिस्तान सरकार को अवगत कराया था।"
पाकिस्तान सरकार और उसकी खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) को अलग-अलग करते हुए उन्होंने कहा, "आतंकवादी और उनको समर्थन देने वाले भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के दुश्मन हैं और हमें हर तरीके से उन्हें परास्त करना होगा।"
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के कार्यकाल के अपने अंतिम संबोधन में उन्होंने अपनी सरकार की उपलब्धियों, पाकिस्तान के साथ संबंधों, अर्थव्यवस्था और आतंकवाद आदि विभिन्न मुद्दों पर बात की। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में अमरनाथ श्राइन बोर्ड भूमि आवंटन विवाद ने राज्य की जनता को सांप्रदायिक आधार पर बांट दिया है।
प्रधानमंत्री ने कहा, "धर्म के नाम पर लोगों को बांटना समस्या को और जटिल बना सकता है जिससे आगे चलकर देश की एकता और अखंडता को भी खतरा उत्पन्न हो सकता है। मैं जम्मू कश्मीर की जनता से अपील करता हूं कि वे राज्य में शांति व्यवस्था कायम रखने में सहयोग करें। मेरा मानना है कि आपसी बातचीत और शांतिपूर्ण तरीकों से ही समस्या का हल खोजा जा सकता है।"
उन्होंने कहा कि कश्मीर घाटी में स्थित अमरनाथ गुफा देश की धर्मनिरपेक्ष परंपरा का अनूठा उदाहरण है जहां वर्षो से हिंदू तीर्थयात्रियों की देखरेख मुस्लिम बंधुओं द्वारा की जा रही है।
मनमोहन ने हाल ही में बेंगलुरू, अहमदाबाद, जयपुर और अन्य स्थानों पर हुए आतंकवादी हमलों को बर्बर कार्रवाई करार देते हुए कहा कि खुफिया एजेंसियों और पुलिस बलों को मजबूत किया जाएगा ताकि ऐसी समस्याओं से और बेहतर तरीके से निपटा जा सके।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज दुनिया में भारत को एक तेज गति से विकसित होती अर्थव्यवस्था के रूप में सम्मान से देखा जाता है और यही अवसर है जब हम विश्व स्तर पर महत्वपूर्ण स्थान हासिल कर सकते हैं।
बढ़ती महंगाई पर अंकुश लगाने को सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती बताते हुए उन्होंने कहा, "देश के इतिहास में पहली बार हमने लगातार चार वर्षो तक लगभग 9 फीसदी की विकास दर हासिल की है लेकिन इस दौरान हमें मुद्रास्फीति की समस्या का भी सामना करना है।"
उन्होंने कहा कि आम आदमी पर महंगाई का बहुत अधिक प्रभाव न पड़े इसके प्रयास किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने खाद्य और उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों में हुए इजाफे के बारे में कहा कि मुद्रास्फीति की मौजूदा तेज दर आयातित है। गौरतलब है कि मुदास्फीति पिछले 14 वर्षो के उच्चतम स्तर 12.44 फीसदी पर जा पहुंची है।
उन्होंने कहा कि गरीबी हटाने और सभी लोगों के लिए रोजगार पैदा करने के लिए हमें 10 फीसदी के आसपास की विकास दर बनाए रखनी होगी।
प्रधानमंत्री ने देश की आने वाली पीढ़ियों के प्रति जिम्मेदारियों की बात कहते हुए कहा कि राजनीतिक दलों को तात्कालिक लाभ के अनुसार काम नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा, "हमें अपने बच्चों समेत आने वाली कई पीढ़ियों के स्वास्थ्य और कल्याण के बारे में सोचना होगा।"
संप्रग सरकार की उपलब्धियों के रूप में प्रधानमंत्री ने किसानों की कर्ज माफी, रोजगार गारंटी योजना, कृषि क्षेत्र को अधिक ऋण और बुनियादी ढांचा क्षेत्र में हुए विकास का जिक्र किया। भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते की बात करते हुए उन्होंने कहा कि यह समझौता न केवल देश के ऊर्जा संकट को दूर करेगा बल्कि इससे देश में औद्योगीकरण की एक नई प्रक्रिया की शुरुआत होगी।
उन्होंने कहा कि इससे देश का परमाणु अलगाववाद खत्म होगा और भारत परमाणु प्रौद्योगिकी और सामग्रियों के व्यापार में शामिल हो सकेगा।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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