शिक्षकों की कमी, आईआईटी नजर विदेशों पर

By Staff
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IIT Delhi
नई दिल्ली, 14 अगस्त: शिक्षकों की भारी कमी से जूझ रहे देश के 13 भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) की नजरें अब विदेशों पर हैं। आईआईटी कानपुर के निदेशक संजय ढांडे ने कहा, "शिक्षकों की कमी एक वास्तविक समस्या है और सभी आईआईटी इसको लेकर चिंतित हैं। हम शीघ्र ही विदेशों से अच्छे शिक्षक लाएंगे।"

उन्होंने कहा कि अगले चार-पांच वर्षो में करीब तीन हजार शिक्षकों की जरूरत पड़ेगी। इसके लिए वे अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं पर अपनी नजरें टिकाए हुए हैं। वर्तमान में पूर्व के सात आईआईटी में 15 से 25 प्रतिशत तक शिक्षकों की कमी है। आईआईटी दिल्ली में 556 की जगह केवल 448 शिक्षक हैं और यहां करीब 5300 छात्र हैं।

आईआईटी गुवाहाटी और आईआईटी रूड़की की स्थिति और भी खराब है। इस साल घोषित छह नए आईआईटी का संचालन शुरू होने के साथ ही स्थिति और खराब हो जाएगी।

इस सप्ताह दिल्ली आए ढांडे ने कहा कि वैश्विक स्तर पर उच्च इंजीनियरिंग संस्थाओं में शोध कार्यो से करीब 50 हजार लोग जुड़े हैं और उन्हें केवल तीन हजार शिक्षकों की जरूरत है।

आईआईटी रूड़की के निदेशक एस. सी. सक्सेना का कहना है कि शिक्षक अनिवासी भारतीय या विदेश हो सकते हैं। आईआईटी मद्रास के निदेशक एम. एस. आनंथ ने कहा कि कमी की व्यापक समीक्षा किए जाने की जरूरत है।

आनंथ ने कहा, "यह सच है कि गुणवत्तापूर्व शिक्षकों की कमी है, लेकिन वैश्विक प्रतिभा खोजने के चक्कर में हम भारतीय प्रतिभाशाली शिक्षकों को दरकिनार नहीं किया जा सकता।"

उन्होंने कहा कि ऐसा करने का मुख्य उद्देश्य आईआईटी ब्रांड की गुणवत्ता बनाए रखना है। सभी आईआईटी के निदेशक और अधिकारी यहां संयुक्त प्रवेश बोर्ड की बैठक के लिए इकट्ठा हुए थे।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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