राजधानी के कई स्थलों से जुड़ी हैं स्वतंत्रता संग्राम की यादें
नई दिल्ली, 14 अगस्त (आईएएनएस)। राजधानी दिल्ली में उर्दू पार्क, शहीद भगत सिंह पार्क जैसे कई ऐतिहासिक स्थल हैं, जिनका स्वतंत्रता संग्राम के दौर से गहरा नाता रहा है।
नई दिल्ली, 14 अगस्त (आईएएनएस)। राजधानी दिल्ली में उर्दू पार्क, शहीद भगत सिंह पार्क जैसे कई ऐतिहासिक स्थल हैं, जिनका स्वतंत्रता संग्राम के दौर से गहरा नाता रहा है।
पुरानी दिल्ली के उर्दू बाजार में स्थित 'उर्दू पार्क' का ऐतिहासिक महत्व है। यहां मौलाना अबुल कलाम आजाद ने स्थानीय युवाओं के साथ पहली अगस्त 1942 को एक महत्वपूर्ण बैठक की थी। उन दिनों 'भारत छोड़ो आंदोलन' की तैयारियां जोरों पर थीं।
राजधानी में स्थित 'शहीद भगत सिंह पार्क' स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा दूसरा महत्वपूर्ण स्थल है। यहां शहीद भगत सिंह और उनके साथियों ने मिलकर 'हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी' का गठन किया था, हालांकि उन दिनों यह स्थल फिरोजशाह कोटला के रूप में ही पहचाना जाता था।
संसद के केंद्रीय कक्ष की साहसिक घटना भला कौन भूल सकता है। यहां भगत सिंह और उनके साथी बटुकेश्वर दत्त ने अंग्रेजी सरकार का विरोध करते हुए 18 अप्रैल 1929 को दो बम धमाके किए थे और 'इंकलाब जिंदाबाद' के नारे लगाए थे।
इन धमाकों का उद्देश्य किसी को क्षति पहुंचाना नहीं था बल्कि अंग्रेजी सरकार को जगाना भर था। उन दिनों केंद्रीय कक्ष 'सेंट्रल असेंबली हॉल' के रूप में जाना जाता था।
पुरानी दिल्ली के बल्लीमारान इलाके में स्थित 'शरीफ मंजिल हवेली' का भी अपना महत्व रहा है। यहां 'रोलेट एक्ट' के विरोध में महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, मौलाना आजाद जैसे नेताओं ने कई बैठकें की थीं। इसके अतिरिक्त वाल्मीकि सदन, लाल किला स्थित सैन्य शिविर, चांदनी चौक से भी स्वतंत्रता संघर्ष की कई यादें जुड़ी हैं।
मंदिर मार्ग के हरिजन कॉलोनी में स्थित वाल्मीकि सदन का भी खास महत्व है। यहां गांधी जी ने मार्च 1946 से लेकर जून 1947 तक निवास किया था। चांदनी चौक इलाके की गलियां भी स्वतंत्रता संग्राम की गवाह हैं। 1857 के विद्रोह के दौरान यहां दो सौ से अधिक उलेमाओं को फांसी पर लटका दिया गया था।
इन इलाकों में गांधी, नेहरू, महादेव देसाई, सी. राजगोपालाचारी और हकीम अजमल खान जैसे नेताओं ने कई जनसभाओं को संबोधित किया था।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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