हमारे समाज में हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं : राष्ट्रपति (लीड-1)
नई दिल्ली, 14 अगस्त (आईएएनएस)। राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने जम्मू कश्मीर में हो रही हिंसक घटनाओं के परोक्ष संदर्भ में गुरुवार को देशवासियों से शांति की अपील की और विभिन्न समुदायों में आपसी भाईचारे को बहाल करने के प्रयास करने का आग्रह करते हुए कहा कि सभ्य समाज में हिंसा का कोई स्थान नहीं हो सकता।
देश के 62 वें स्वाधीनता दिवस की पूर्व संध्या पर गुरुवार को राष्ट्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि हिंसा चाहे किसी भी कारण से कहीं भी हो उसे कभी जायज नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने कहा कि बद से बदतर परिस्थितियों में भी बातचीत की संभावना बरकरार रहती है।
पाटिल ने कहा कि पिछले कुछ दशकों से देश लगातार आतंकवाद के निशाने पर है और हमें एकजुट होकर इसका मुकाबला करना होगा। उन्होंने कहा कि आतंकवादी अपनी लाख कोशिशों के बावजूद देशवासियों के हौसले को पस्त करने में कामयाब नहीं हो पाएंगे। राष्ट्रपति ने आशा व्यक्त की है कि दुनिया भर के देशों तथा अपने क्षेत्रीय सहयोगियों के साथ मिलकर हम आतंकवाद को परास्त करने में सफल होंगे।
स्वतंत्रता दिवस पर देशवासियों को बधाई देते हुए राष्ट्रपति सीमाओं की रक्षा में तैनात सशस्त्र सेनाओं और अर्धसैनिक बलों के बहादुर जवानों के प्रति विशेष आभार प्रकट किया। देश की बहुभाषीय और बहुधार्मिक संस्कृति का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जब हम सब एक साथ मिलकर काम करेंगे तभी हमें अपनी ताकत का अंदाजा लग पाएगा।
विकासशील देश के रूप में बढ़ती ऊर्जा जरूरतों का जिक्र करते हुए पाटिल ने कहा कि ऊर्जा की कमी को अपनी विकासयात्रा में बाधक नहीं बनने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि तेल की बढ़ती कीमतों और जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरे के मद्देनजर हमें ऊर्जा के परंपरागत स्रोतों से वैकल्पिक और स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों की ओर रुख करना होगा।
ग्रामीण क्षेत्रों के विकास पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि देश की खाद्य सुरक्षा पूरी तरह कृषि क्षेत्र के विकास पर निर्भर है और जब तक ग्रामीण इलाकों को विकास की मुख्य धारा में शामिल नहीं किया जाएगा तथा कृषि उत्पादन में वृद्धि नहीं होगी तब तक देश का संपूर्ण विकास संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि समाज के वंचित और गरीब तबके का उत्थान, विकास प्रक्रिया को और अधिक स्थिर बनाएगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि महिलाओं के विकास के लिए सहकारी और स्वयं सहायता समूहों से बेहतर कोई रास्ता नहीं हो सकता और उनके समग्र विकास के लिए हमें उनसे जुड़ी सभी पहलों को महिला सशक्तीकरण के राष्ट्रीय अभियान में तब्दील करना होगा। उन्होंने कहा कि महिलाओं को विकास और भागीदारी के अवसर उपलब्ध कराने होंगे ताकि उनके साथ पक्षपातपूर्ण व्यवहार खत्म हो। उन्होंने कहा कि इससे देश में नया सामाजिक परिवर्तन आएगा।
सामाजिक बुराइयों को देश की प्रगति में सबसे बड़ी बाधा बताते हुए उन्होंने कहा कि दहेज प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या, बच्चियों के साथ भेदभाव, घरेलू हिंसा तथा विभिन्न प्रकार के मादक पदार्थो से जुड़ी बुराइयों को हमें समाज से उखाड़ फेंकना होगा। नशीले पदार्थो के सेवन से होने वाले आर्थिक और सामाजिक नुकसानों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इससे लोगों का व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन तो प्रभावित होता ही है, राष्ट्र की उत्पादन क्षमता पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है।
देश के 54 करोड़ युवाओं का आह्वान करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि ये युवा एक नए भारत का निर्माण करेंगे लेकिन इसके लिए आवश्यक है कि बच्चों को उच्च नैतिक मूल्यों वाली स्तरीय शिक्षा प्रदान की जाए। बीजिंग ओलंपिक खेलों में भाग लेने गए भारतीय दल को शुभकामनाएं देते हुए उन्होंने खेलों के इतिहास में देश को पहला व्यक्तिगत स्वर्ण दिलाने वाले निशानेबाज अभिनव बिंद्रा को बधाई दी।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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