बीजिंग ओलंपिक : सायना भी हारीं, टेनिस में आस बरकार (राउंडअप)
बीजिंग, 13 अगस्त (आईएएनएस)। बुधवार को सायना नेहवाल की हार के साथ बैडमिंटन में पदक पाने की भारत की उम्मीदों को करारा झटका लगा, लेकिन महेश भूपति तथा लिएंडर पेस ने टेनिस मुकाबलों के युगल वर्ग के क्वार्टर फाइनल में स्थान पक्का करते हुए इस आस को पूरी तरह धूमिल नहीं होने दिया। नौकायन में हालांकि नक्षत्र सिंह जोहल सातवीं दौड़ के बाद 23वें स्थान पर चल रहे हैं, अब कोई चमत्कार ही उन्हें पदक के करीब पहुंचा सकता है।
बुधवार को सायना के अलावा सानिया मिर्जा और सुनीता राव की जोड़ी ने टेनिस में निराश किया। इसके अलावा प्रतिस्पर्धा में बचे भारत के एकमात्र तीरंदाज मंगल सिंह चंपिया भी अपनी चुनौती तुड़वा बैठे। कुल मिलाकर अब आस पेस-भूपति की अनुभवी जोड़ी से है, जो 2004 के एथेंस ओलंपिक में सेमीफाइनल तक का सफर तय कर चुकी है।
लगभग चार साल के बाद एक साथ खेल रहे पेस-भूपति युगल मुकाबलों के क्वार्टर फाइनल में पहुंचने में सफल रहे। भारतीय जोड़ी ने ब्राजील के मार्सेलो मेलो और आंद्रे सा को एकतरफा मुकाबले में 6-4, 6-2 से पराजित किया।
तेरह वर्ष पहले जोड़ीदार बने पेस-भूपति ने मैच की शुरुआत से ही मेलो और सा पर दबाव बनाए रखा। दोनों ने पहले सेट में शानदार सर्विस की, जिसका नतीजा हुआ कि उनके 80 प्रतिशत पहले सर्व सही रहे। कुल मिलाकर भारतीय अपनी बेजा गलतियों को न्यूनतम स्तर पर ले जाने में सफल रहे। पेस ने कहा, "अगर हम इसी तरह खेलते रहे तो हम बहुत कुछ कर सकते हैं। फिलहाल हम एक-एक मैच को लक्ष्य बनाकर चल रहे हैं। अभी तक खेले गए दोनों मैच हमारे लिए अच्छे रहे।"
पेस 1992 के बार्सिलोना ओलंपिक में रमेश कृष्णन के साथ पहली बार क्वार्टर फाइनल में पहुंचने में सफल रहे थे। प्री-क्वार्टर फाइनल में भारतीय जोड़ी ने टॉड वुडब्रिज और जान फिट्सगेराल्ड को हराया था, लेकिन क्वार्टर फाइनल में उन्हें क्रोएशिया के गोरान इवानिसेविक और गोरान पर्पिक ने हरा दिया था।
2004 के एथेंस ओलंपिक में पेस-भूपति सेमीफाइनल में जर्मनी के निकोलस केइफर और रेनर शुटलर से हार गए थे। इसके बाद कांस्य पदक के लिए हुए मुकाबले में भारतीय जोड़ी को क्रोएशिया के मारियो एंकिक और इवानल्जूबिकिक ने हरा दिया था।
बहरहाल, बीजिंग ओलंपिक के क्वार्टर फाइनल में पेस-भूपति का सामना स्विटजरलैंड के रोजर फेडरर तथा स्टेनिसलास वॉवरिंका और रूस के दमित्रि तुर्सनोव तथा मिखाइल यूझिनी के बीच होने वाले मुकाबले के विजेता से होगा। पेस ने जीत के बाद कहा, "हम अगले मुकाबले के लिए तैयार हैं। मंगलवार देर रात मुझे पता चला था कि हमारी भिड़ंत मेलो और सा के साथ होने वाली है। अब जबकि हमारी भिड़ंत रूस या स्विटजरलैंड की जोड़ियों से हो सकती है, हम इनके खिलाफ भी अच्छा प्रदर्शन करना चाहते हैं।"
दूसरी ओर, सानिया-सुनीता महिलाओं के युगल मुकाबले से बाहर हो गईं। सानिया-सुनीता को रूस की स्वेतलाना कुज्नेत्सोवा और दिनारा सफीना की जोड़ी ने दूसरे दौर के मुकाबले में 6-4, 6-4 से पराजित किया। महिलाओं के एकल मुकाबले से चोट के कारण निराशाजनक रूप से बाहर होने वाली सानिया का इस मैच में खेलना संदिग्ध था। हालांकि अंतिम क्षणों में उन्होंने इस अहम मुकाबले में खेलने का फैसला किया, लेकिन वे मुकाबला हार गईं।
नौकायन की बात करें तो जोहल फिन वर्ग की सातवीं दौड़ के बाद 23वें स्थान पर चल रहे हैं। जोहल ने सातवीं दौड़ में 18वां स्थान हासिल किया। इस दौड़ के बदले वे 11 पेनाल्टी अंक जुटाने में सफल रहे। आठवीं दौड़ भी बुधवार को ही होनी थी, लेकिन खराब मौसम और तेज हवा के कारण इसका आयोजन नहीं हो सका। ब्रिटेन के नाविक बेन एश्ले पहले स्थान पर चल रहे हैं, जबकि अमेरिका के नाविक दूसरे स्थान पर हैं।
जोहल तो प्रतियोगिता में अब भी बने हुए हैं, लेकिन क्वालिफाइंग दौर में अपने शानदार प्रदर्शन से प्रभावित करने वाले तीरंदाज चंपिया व्यक्तिगत मुकाबलों के प्री-क्वार्टर फाइनल में हार गए। चंपिया को रूस के तीरंदाज बेयर बादेनोव ने 108-109 से हराया।
चंपिया की हार के साथ तीरंदाजी में भारतीय चुनौती पूरी तरह समाप्त हो गई। मंगलवार को भारत की तीनों महिला तीरंदाज व्यक्तिगत मुकाबलों में हार गइर्ं थीं। टीम स्पर्धा में भी चीन से हारकर भारत पहले ही बाहर हो चुका था।
चंपिया ने रैंकिंग दौर में दूसरा स्थान हासिल किया था, लेकिन वे व्यक्तिगत मुकाबलों में अपना पिछला प्रदर्शन बरकरार नहीं रख सके। नतीजतन, वे वरीयता क्रम में अपने से नीचे के खिलाड़ी से हारकर ओलंपिक से बाहर हो गए। पहले दो प्रयासों में चंपिया सिर्फ सात-सात अंक हासिल कर सके। यही उनकी हार का कारण बना। हालांकि चंपिया ने अपने अंतिम पांच प्रयासों में 10-10 अंक हासिल किए थे, जबकि बदेनोव सिर्फ चार बार 10 अंकों के लिए बुल्स-आई पर निशाना साध सके थे।
पहले दो प्रयासों में चंपिया ने 10-9-7 और 7-9-10 स्कोर हासिल किया, जबकि बेदेनोव ने पहले दो प्रयासों में 9-8-10 तथा 10-9-9 स्कोर हासिल किया था। चंपिया ने तीसरे प्रयास में सुधरा हुआ प्रदर्शन किया, लेकिन चौथे प्रयास में वे और सुधार नहीं ला सके।
चंपिया ने अपने आखिरी छह प्रयासों में दो बार 10 और दो बार 9 स्कोर हासिल किया, लेकिन पहले दो प्रयासों के आधार पर मिली तीन अंकों की बढ़त के कारण बेदेनोव सेमीफाइनल में पहुंचने में सफल रहे। इससे पहले, बुधवार सुबह चंपिया ने इरान के वेइजी होजातुल्लाह को 112-98 के अंतर से पराजित किया था। चंपिया ने पांच बार 10 अंक हासिल किए थे, जबकि वेइजी एक बार भी बुल्स-आई पर निशाना नहीं साध सके थे।
बुधवार को भारत को सबसे करारा झटका बैडमिंटन में सायना की हार के साथ लगा। अपने पहले ही ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन करने वाली सायना मैराथन क्वार्टर फाइनल मुकाबले में इंडोनेशिया की खिलाड़ी मारिया क्रिस्टेन यूलियांती से हार गईं। एक घंटे से भी अधिक समय तक चले रोमांचक मुकाबले में दुनिया की 15वीं वरीयता प्राप्त खिलाड़ी सायना 28-26, 14-21, 15-21 से पराजित हुईं।
सायना की हार के साथ बैडमिंटन में भारत के लिए पदक पाने की उम्मीद समाप्त हो गई। पुरुष वर्ग में भारत के एकमात्र प्रतिनिधि अनूप श्रीधर मंगलवार को ही दूसरे दौर में हार गए थे। सायना और यूलियांती का मैच हर लिहाज से रोमांचक रहा। दोनों खिलाड़ियों से बेहद कांटे की भिड़ंत की उम्मीद की जा रही थी और दोनों ने सभी की उम्मीदों पर खरा उतरते हुए जीत के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी।
प्री-क्वार्टर फाइनल में अपने से ऊंची वरीयता प्राप्त खिलाड़ी को हराकर अंतिम आठ में पहुंचीं सायना का मनोबल काफी बढ़ा हुआ था। इसका असर पहले सेट में दिखा। सायना 20-16 की बढ़त के साथ पहला सेट जीततीं दिख रहीं थीं, लेकिन यूलियांती ने अपने अनुभव का प्रयोग करते हुए चार अंक बचा लिए। हालांकि सायना ने यह सेट 28-26 से जीतकर अपना जज्बा कायम रखा।
दूसरे सेट में यूलियांती ने अपने खेल का स्तर उठाया। इसी का नतीजा था कि पूरे मैच में बेहतरीन नेट प्ले और कोर्ट कवरेज दिखाने वाली सायना कुछ गलतियां करने पर मजबूर हुईं।
निर्णायक सेट में भी सायना ने यूलियांती की तुलना में अच्छा खेल दिखाया। एक समय वे 11-3 से आगे चल रहीं थीं, लेकिन यूलियांती ने एक बार फिर अपने अनुभव का प्रयोग करते हुए यह सेट अपने नाम करते हुए सेमीफाइनल में प्रवेश किया।
सायना ने मैच के बाद कहा, "मेरे और यूलियांती में अनुभव का अंतर था, लेकिन मैं खुद को मैच के अनुरूप ढाल नहीं सकी थी। जब तक मुझे यह बात समझ में आती, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। यह मुकाबला कांटे का रहा, लेकिन सच पूछिए तो यह मेरे हक में जाना चाहिए था।"
ओलंपिक में अपने अनुभव को लेकर सायना ने कहा, "मेरे लिए यह अनुभव कुछ खट्टा और कुछ मीठा रहा। मीठा इसलिए कि मैं तमाम लोगों की अपेक्षाओं पर खरा उतरते हुए यहां तक पहुंची और खट्टा इसलिए क्योंकि दबाव बनाए रखने के बावजूद मैं क्वार्टर फाइनल में हार गई। इस मैच में मेरी जीत होनी चाहिए थी।"
सायना हार गईं, लेकिन ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतने के सपने के साथ बड़ी हुई इस खिलाड़ी ने अपनी बहादुरी से सबको प्रभावित किया। सायना ने कुल मिलाकर उम्मीद से अच्छा प्रदर्शन किया। प्री-क्वार्टर फाइनल में बैडमिंटन स्पर्धा में अब तक का सबसे बड़ा उलटफेर करने वाली सायना के लिए पहला ओलंपिक न भूलने वाला अनुभव रहेगा।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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