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कोड़ा ने इस्तीफा नहीं दिया तो समर्थन वापस : सोरेन (लीड-1)

By Staff
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रांची/नई दिल्ली, 12 अगस्त (आईएएनएस)। लोकसभा में पिछले माह विश्वास मत के दौरान केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार को समर्थन देने के एवज में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के मुखिया शिबू सोरेन ने झारखंड के मुख्यमंत्री पद के साथ-साथ केंद्र सरकार में एक कैबिनेट और एक राज्य मंत्री का पद मिलने का दावा किया है।

राजधानी में पत्रकारों से चर्चा करते हुए सोरेन ने कहा, "मुझे मुख्यमंत्री बनाए जाने का फैसला काफी पहले ले लिया गया था लेकिन अब इसमें विलंब हो रहा है। इसलिए हमने तय किया है कि राज्य के मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने जल्द इस्तीफा नहीं दिया तो झामुमो राज्य सरकार से समर्थन वापस ले लेगी।"

इस बीच, मुख्यमंत्री कोड़ा ने अपने पद से इस्तीफा देने से इंकार कर दिया है। स्वतंत्र विधायक से मुख्यमंत्री पद का सफर तय करने वाले कोड़ा ने मंगलवार को संवाददाताओं से कहा, "संप्रग नेतृत्व से इस्तीफा देने के संबंध में मुझे कोई निर्देश नहीं मिला है। मेरी सरकार सुरक्षित है।"

उधर, दिल्ली में कांग्रेस सांसद फुरकान अंसारी और सुबोधकांत सहाय ने सोरेन के निवास पर एक बैठक में झारखंड मुद्दे पर चर्चा की। बैठक के तत्काल बाद सोरेन ने दावा किया, "संप्रग नेतृत्व ने कोड़ा को इस्तीफा देने का साफ निर्देश दिया है। उनके इस्तीफे के बाद मैं राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ लूंगा।"

साथ ही उन्होंने यह दावा भी किया कि झारखंड के मुख्यमंत्री के अलावा उनकी पार्टी के दो नेताओं को केंद्र सरकार में मंत्री बनाया जाएगा। एक को कैबिनेट मंत्री का दर्जा और दूसरे को राज्य मंत्री का दिए जाने पर संप्रग नेतृत्व से सहमति बनी है।

सोरेन ने कहा, "अगर कोड़ा इस्तीफा नहीं देते हैं तो राज्य सरकार से समर्थन वापस ले लिया जाएगा। कोड़ा की जगह मुझे मुख्यमंत्री बनाने का फैसला काफी पहले ले लिया गया था। पहले तो लालूप्रसाद यादव भी मेरे पक्ष में थे अब उनका क्या विचार है, मुझे इसकी जानकारी नहीं है।"

जेएमएम ने मुख्यमंत्री पद पर फैसला लेने के लिए संप्रग नेतृत्व को 48 घंटे का समय दिया है। पार्टी ने स्पष्ट किया है कि अगर सोरेन को मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया तो वह कड़ा कदम उठाएगी।

इस बीच राज्य के उप मुख्यमंत्री स्टीफन मरांडी ने पत्रकारों से कहा है कि मंत्रिमंडल के सदस्यों ने पहले ही संप्रग के नेताओं से यह स्पष्ट कर दिया है कि राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की कोई आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि बिना विधायकों से बात किए केंद्रीय नेतृत्व को कोई फैसला नहीं लेना चाहिए।

गौरतलब है कि लोकसभा में झामुमो के पांच सांसद है। लोकसभा में विश्वास मत के दौरान झामुमो ने संप्रग सरकार के पक्ष में मतदान किया था।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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