बीजिंग ओलंपिक : क्वालिफाइंग दौर में ही बाहर हो गए राठौड़ और समरेश (लीड-2)
बीजिंग, 12 अगस्त (आईएएनएस)। भारत के दो प्रमुख निशानेबाज राज्यवर्धन सिंह राठौड़ और समरेश जंग बीजिंग ओलंपिक की निशानेबाजी स्पर्धा के क्वालिफाइंग दौर से ही बाहर हो गए। मंगलवार को राठौड़ जहां डबल ट्रैप स्पर्धा में कोई कमाल नहीं कर सके, वहीं समरेश 50 मीटर पिस्टल स्पर्धा में लक्ष्य से भटक गए।
बीजिंग, 12 अगस्त (आईएएनएस)। भारत के दो प्रमुख निशानेबाज राज्यवर्धन सिंह राठौड़ और समरेश जंग बीजिंग ओलंपिक की निशानेबाजी स्पर्धा के क्वालिफाइंग दौर से ही बाहर हो गए। मंगलवार को राठौड़ जहां डबल ट्रैप स्पर्धा में कोई कमाल नहीं कर सके, वहीं समरेश 50 मीटर पिस्टल स्पर्धा में लक्ष्य से भटक गए।
सोमवार को 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में अभिनव बिंद्रा द्वारा स्वर्ण पदक जीतने के बाद राठौड़ और समरेश से भी लोग चमत्कार की उम्मीद कर रहे थे। खासतौर पर एथेंस ओलंपिक में रजत पदक जीतने वाले राठौड़ से विशेष उम्मीदें थीं, लेकिन उन्होंने निराश किया।
इसी तरह, राष्ट्रमंडल खेलों के चैंपियन समरेश से भी उम्मीदें लगाई जा रही थीं, लेकिन समरेश ने अपेक्षाओं के दबाव में इतना खराब प्रदर्शन किया कि वे फाइनल में भी नहीं पहुंच सके।
डबल ट्रैप स्पर्धा में राठौड़ ने 43-45-43 अंकों के साथ कुल 131 स्कोर हासिल किया। वे छह खिलाड़ियों वाले फाइनल तक का रास्ता बनाने वाले अंतिम खिलाड़ी से पांच अंक कम ही हासिल कर सके। 19 निशानेबाजों के बीच राठौड़ 15वें स्थान पर रहे। चार वर्ष पहले राठौड़ ने क्वालिफाइंग दौर में 135 अंक हासिल किए थे।
वर्ष 2006 के राष्ट्रमंडल खेलों में पांच स्वर्ण पदक जीतने वाले समरेश ने 88, 92, 91, 86, 90 और 93 अंकों के साथ कुल 540 अंक हासिल किए। उनका प्रदर्शन इतना खराब रहा कि वे 564 अंकों के न्यूनतम क्वालिफाइंग स्कोर तक भी नहीं पहुंच सके और 45 निशानेबाजों के बीच 42वें स्थान पर रहे। समरेश 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा से भी बाहर हो चुके हैं।
समरेश और राठौर के अलावा एथेंस ओलंपिक में डबल ट्रैप स्पर्धा का स्वर्ण जीतने वाले संयुक्त अरब अमीरात के निशानेबाज शेख अहमद अल मखतूम और आस्ट्रेलिया के मार्क रसेल का भी क्वालिफाई नहीं कर पाना खासा चौंकाने वाला नतीजा रहा।
निराशाजनक प्रदर्शन के बावजूद राठौड़ ने मीडिया से बात करने में कोई झिझक नहीं दिखाई। उन्होंने कहा, "मेरे लिए यह दिन बहुत कठिन रहा। निशाना लगाने में कोई दिक्कत नहीं हो रही थी। जब सबकुछ अच्छा चल रहा था, तब एक निशाना चूकना महंगा पड़ा। निशाने पर ध्यान लगाना आसान नहीं, खासतौर पर पहले वाले पर। हम इसी पर पिछले 10 दिनों से ध्यान लगाने के लिए अभ्यास कर रहे थे। हमने जोरदार मेहनत की थी। यही एक काम हमारे वश में था। मुझे दुख है कि अभिनव को छोड़कर हमारा और कोई निशानेबाज अपेक्षित परिणाम नहीं दे सका।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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