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अभिनव की कामयाबी से फूले नहीं समा रहे ढिल्लन

By Staff
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चंडीगढ़, 12 अगस्त (आईएएनएस)। निशानेबाजी की 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में स्वर्ण जीतने वाले अभिनव बिंद्रा के कोच लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) जागीर सिंह ढिल्लन अपने शिष्य की शानदार सफलता पर फूले नहीं समा रहे हैं। ढिल्लन ने कहा कि अभिनव ने उन्हें उनके जीवन का सबसे बड़ा उपहार दिया है।

चंडीगढ़, 12 अगस्त (आईएएनएस)। निशानेबाजी की 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में स्वर्ण जीतने वाले अभिनव बिंद्रा के कोच लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) जागीर सिंह ढिल्लन अपने शिष्य की शानदार सफलता पर फूले नहीं समा रहे हैं। ढिल्लन ने कहा कि अभिनव ने उन्हें उनके जीवन का सबसे बड़ा उपहार दिया है।

आईएएनएस से विशेष बातचीत के दौरान ढिल्लन ने कहा कि 13 वर्ष की उम्र में उनके पास प्रशिक्षण के लिए आने वाले अभिनव बहुत शर्मिले, लेकिन जल्द ही आपा खो देने वाले लड़के थे। हालांकि उनके अंदर समर्पण की कोई कमी नहीं थी।

कोच ने कहा, "अभिनव ने मुझे मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा उपहार दिया है। मेरे पास इस खुशी का बखान करने के लिए शब्द नहीं हैं। मैंने अभिनव को सिर्फ एक गुरुमंत्र दिया था। मैंने उससे कहा था कि अपने आपसे प्रतिस्पर्धा करो, जीत स्वयं ही तुम्हारे कदम चूमेगी। मैंने उसे कभी भी पदक जीतना नहीं सिखाया। मैंने हमेशा कहा कि अपने पिछले प्रयास से बेहतर स्कोर हासिल करने का प्रयास करो।"

ढिल्लन ने अभिनव के शुरुआती दिनों को याद करते हुए कहा, "अभिनव के पिता उसे मेरे पास 13 जुलाई 1995 को लेकर आए थे। आठवें एशियाई खेलों में मेरे साथी रहे गुरमीत सोढ़ी ने उससे मेरा परिचय कराया था। संपन्न परिवार से ताल्लुक रखने के कारण मैं उसकी क्षमता और समर्पण को लेकर शंका कर रहा था, क्योंकि निशानेबाजी में जबरदस्त अभ्यास की जरूरत होती है। उसके पिता ए.एस. बिंद्रा ने कहा था कि उनका बेटा अपनी एयर गन से बोतलें तोड़ने में उस्ताद है, यही कारण है कि वे उसकी प्रतिभा को दिशा देना चाहते हैं।"

ढिल्लन ने कहा कि प्रशिक्षण शुरू होने के बाद से अभिनव ने हर दिन उन्हें गलत साबित किया। उन्होंने कहा, "उसमें इतना समर्पण था कि वह नियत समय से पांच मिनट पहले ही अभ्यास के लिए पहुंच जाता था। वह मेरे खुले शूटिंग रेंज में धूप में ही जबरदस्त अभ्यास किया करता था। कुछ महीनों के अभ्यास के बाद ही उसने जिला स्तर का पहला टूर्नामेंट जीता। इसके बाद इस लड़के ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।"

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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