लघु उद्योग: रोजगार में आई कमी
'एसोसिएटेड चैंबर्स आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री आफ इंडिया' (एसोचैम) की रिपोर्ट के अनुसार बड़ी और मध्यम स्तर की घरेलू कंपनियां अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए सस्ता आयात कर रही हैं। इसका असर लघु उद्योग पर पड़ रहा है, जिस कारण वो मंदी की ओर अग्रसर हैं।
महंगे ऋण के कारण देश के लघु उद्योग अपने पुराने विक्रेताओं और आपूर्तिकर्ताओं को उचित कीमतों पर सेवाएं नहीं दे पा रहे हैं। यही नहीं वो ऐसी सुविधाएं ले भी नहीं पा रहे हैं। ऋण महंगा होने के कारण एसएसआई बेहतर संसाधन भी नहीं जुटा पा रहा है।
एसोचैम के अध्यक्ष सज्जन जिंदल ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि एसएसआई फिलहाल संकट के दौर से गुजर रहा है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान देश के कुल उत्पादन में लघु उद्योग की हिस्सेदारी 35 प्रतिशत दर्ज हुई, जो पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में दस फीसदी कम है।
उन्होंने
कहा
कि
वर्ष
2007-08
में
देश
में
लघु
उद्योग
इकाइयों
की
अनुमानित
संख्या
44
लाख
थी,
जिनसे
लगभग
2.38
करोड़
लोगों
को
रोजगार
मिलता
था।
लेकिन पिछले
तिमाही
में
एसएसआई
से
करीब
14
खरब
रुपये
का
उत्पादन
हआ।