'जैवईंधन से सुनिश्चित होगी देश की ऊर्जा सुरक्षा'
मैत्रेयी बरुआ
मैत्रेयी बरुआ
बंगलुरू, 10 अगस्त (आईएएनएस)। हेनरी फोर्ड ने वर्ष 1930 में जब पहली बार एथेनॉल से अपनी कार दौड़ाई थी तो कुछ लोगों ने तो उन्हें प्रोत्साहित किया था, लेकिन कुछ लोगों ने इसे महज एक स्टंट करार दिया था। लेकिन इस घटना के आठ दशक बाद फोर्ड की राह पर चलने के लिए हर कोई तैयार नजर आ रहा है।
जैवईंधन पर काम करने वाले भारतीय विशेषज्ञों का कहना है कि इस ईंधन के व्यापाक स्तर पर इस्तेमाल से देश की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है। लेकिन इस मार्ग में कई रुकावटें मौजूद हैं। ऊर्जा स्रोत के रूप में इस्तेमाल किए जाने को लेकर कई मिथक और गलत अवधारणाएं व्याप्त हैं।
नई दिल्ली स्थित 'इंस्टीट्यूट आफ अप्लाइड सिस्टम्स एंड रुरल डेवेलपमेंट' (आईएएसआरडी) के अध्यक्ष के. डी. गुप्ता ने कहा, "जैवईंधन के बारे में प्रचलित मिथक और गलत अवधारणाएं इसके ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत के रूप में प्रोत्साहन के मार्ग में प्रमुख बाधाएं हैं।"
गुप्ता नई दिल्ली में आयोजित एक सेमिनार में हिस्सा लेने के बाद आईएएनएस से बात कर रहे थे। यह सेमिनार 'स्थायी विकास के लिए जैवईंधन' विषय पर आयोजित की गई थी।
गुप्ता ने कहा, "भाविष्य में ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हमें इससे जुड़े मसलों का निराकरण करना होगा।"
विशेषज्ञों का मानना है कि कच्चे तेल की बढ़ती हुई कीमतें इसके सीमित भंडार की वजह से उपजी ऊर्जा संकट के मद्देनजर जैवईंधन ऊर्जा का सबसे बढ़िया विकल्प हो सकता है।
उनका कहना है कि जैवईंधन में बहुत कम मात्रा में सल्फर होता है, इस वजह से यह जीवाश्म ईंधन की तुलना में ज्यादा स्वच्छ ईंधन साबित हो सकता है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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