दया याचिका के लिए कोई लिखित प्रक्रिया नहीं : गृह मंत्रालय
नई दिल्ली, 9 अगस्त (आईएएनएस)। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) को बताया है कि सरकार के पास मृत्युदंड की सजा का इंतजार कर रहे कैदियों की दया याचिकाओं से निपटने के लिए कोई लिखित प्रक्रिया नहीं है।
गृह मंत्रालय के सह सचिव शशि भूषण ने आयोग को यह जानकारी एक मामले की सुनवाई के दौरान दी। इस मामले में मुंबई के एक व्यक्ति ने जानना चाहा था कि क्या राष्ट्रपति द्वारा बंदियों की दया याचिका पर निर्णय देने की कोई निश्चित प्रक्रिया अथवा समय सीमा है।
सचिव ने आयोग को बताया, "संविधान के अनुच्छेद 72 (राष्ट्रपति की क्षमादान शक्ति) के तहत याचिकाओं की सुनवाई के लिए कोई लिखित प्रक्रिया नहीं है।"
मुंबई निवासी वत्स राज ने यह कहते हुए इस संबंध में सूचना मांगी थी कि गृह मंत्रालय द्वारा राष्ट्रपति के पास भेजने के लिए दया याचिकाओं का बिना देर किए चयन आधिकारिक महत्व का काम है।
उनका कहना था कि ऐसे मामलों मे एक व्यक्ति के जीवन और समाज के प्रति घृणित अपराध करने वालों को सजा देने के बीच संतुलन साधना पड़ता है। उन्होंने यह भी जानना चाहा था कि क्या सरकार लंबित पड़ी दया याचिकाओं को तेजी से निपटाने के लिए कोई योजना बना रही है।
सरकार ने उनके द्वारा मांगी गई दोनों जानकारियों का जवाब नकारात्मक ही दिया।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।