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अमरनाथ विवाद : वार्ता विफल, आंदोलन जारी रहेगा (लीड-4)

By Staff
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जम्मू, 9 अगस्त (आईएएनएस)। गृह मंत्री शिवराज पाटिल के नेतृत्व में शनिवार को जम्मू पहुंचे 18 सदस्यीय सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल और अमरनाथ यात्रा संघर्ष समिति (एवाईएसएस) के बीच वार्ता विफल हो गई है। इसके साथ ही श्रीअमरनाथ श्राइन बोर्ड को आवंटित भूमि दोबारा वापस किए जाने की मांग को लेकर जम्मू में पिछले एक माह से चल रहे हिंसक प्रदर्शन के थमने की संभावना धूमिल हो गई है।

इस बीच आंदोलनकारियों ने कहा कि वे अपना आंदोलन जारी रखेंगे। सरकार का कहना है कि वह किसी ऐसे हल की तलाश में है जो सभी को मान्य है।

समिति के संयोजक लीला करण शर्मा ने संवाददाताओं से कहा, "हमने गृह मंत्री (शिवराज पाटिल) और प्रतिनिधिमंडल के अन्य सदस्यों से कह दिया है कि जब तक श्राइन बोर्ड को जमीन नहीं दी जाती हमारा आंदोलन जारी रहेगा।"

समाज के विभिन्न वर्गो से बात करने के बाद शिवराज पाटिल ने संवाददाताओं से कहा, "हमने संघर्ष समिति के साथ ही विभिन्न वर्गो से अलग-अलग विचार सुने।"

इससे पूर्व एवाईएसएस ने वार्ता में शामिल होने से इनकार कर दिया था। इसके बाद तीन कश्मीरी नेताओं केंद्रीय जल संसाधन मंत्री सैफुद्दीन सोज, नेशनल कांफ्रेंस के संरक्षक फारूक अब्दुल्ला और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती द्वारा खुद को इस वार्ता से दूर कर लिए जाने के बाद एवाईएसएस वार्ता को तैयार हुई।

एवाईएसएस ने कहा था कि कि वह इस प्रतिनिधिमंडल से बात नहीं करेगी, क्योंकि इसमें वे लोग शामिल हैं, जो इस भूमि विवाद के लिए "उत्तरदायी" हैं।

एवाईएसएस के अध्यक्ष लीला करण शर्मा ने आईएएनएस से कहा था, "हमने सर्वदलीय बैठक में भाग लेकर अपने विचार रखने का फैसला किया था, लेकिन उसमें तीन प्रमुख कश्मीरी नेताओं- सैफुद्दीन सोज, फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती की मौजूदगी ने हमें अपने फैसले पर पुनर्विचार करने और वार्ता का बहिष्कार करने के लिए विवश किया।"

उन्होंने कहा, "राज्य में जो आग लगी है, उसके लिए सोज, महबूबा और फारूक जिम्मेदार हैं। वे अपराधी हैं। हम उनसे बात कैसे कर सकते हैं।"

इससे पहले, अमरनाथ भूमि विवाद का वार्ता के जरिए हल तलाशने के लिए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल शनिवार सुबह भारी सुरक्षा के बीच जम्मू पहुंचा।

इस बीच, अमरनाथ यात्रा संघर्ष समिति (एवाईएसएस) के बैनर तले प्रदर्शन कर रहे आंदोलनकारी आज भी सड़कों पर उतर आए। कुछ स्थानों पर प्रदर्शनकारियों ने कर्फ्यू तोड़ने का प्रयास भी किया। प्रदर्शनकारी सरकार विरोधी नारे लगा रहे थे। इसके मद्देनजर पूरे राज्य में सुरक्षा व्यवस्था चाक चौंबंद कर दी गई है। चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है।

प्रतिनिधिमंडल के सदस्य मौजूदा स्थिति की समीक्षा करेंगे और आंदोलनकारी एवाईएसएस के सदस्यों समेत अन्य प्रमुख राजनीतिक दलों से बातचीत करेंगे। बाद में यह प्रतिनिधमंडल कश्मीर घाटी का भी दौरा करेगा। पिछले एक महीने से भी अधिक समय से चल रहे विरोध प्रदर्शनों और झड़पों में अब तक कम से कम 15 लोग मारे जा चुके हैं।

सर्वदलीय बैठक के मद्देनजर सेना ने निषेधाज्ञा कड़ाई से लागू कर रखी है। पिछले तीन दिनों में ऐसा पहली बार हुआ है, जब कर्फ्यू में एक मिनट की भी ढील नहीं दी गई। अधिकारी ने बताया, "हम कोई परेशानी नहीं चाहते।"

प्रशासन की आश्ांका की वजह पिछले सप्ताह की वह घटना है, जब प्रदर्शनकारियों ने फारूक तथा महबूबा के यहां पहुंचने पर हवाई अड्डे और राजभवन की घेराबंदी कर दी थी। दोनों नेता राज्यपाल एन.एन. वोहरा के साथ सर्वदलीय बैठक में शिरकत के लिए आए थे।

इस प्रतिनिधिमंडल में भारतीय जनता पार्टी के अरुण जेटली, समाजवादी पार्टी के अमर सिंह, कांग्रेस के पृथ्वीराज चव्हाण, श्रीप्रकाश जायसवाल और मोहसिना किदवई, जनता दल युनाइटेड के के. सी. त्यागी, लोक जनशक्ति पार्टी के रामचंद्र पासवान, राष्ट्रीय जनता दल के रघुवंश प्रसाद सिंह, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम के ए. राजा, शिरोमणि अकाली दल के नरेश गुजराल, बहुजन समाज पार्टी के अख्तर हसन, मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सीताराम येचुरी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के डी. राजा शामिल हैं।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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