सारनाथ में तिब्बती समुदाय का ब्लैक डे
वाराणसी, 8 अगस्त (आईएएनएस)। चीन में आज से शुरू हुए ओलंपिक खेलों का विरोध वाराणसी के सारनाथ में रहने वाले तिब्बतियों ने ब्लैक डे के रूप में मना कर किया। सैकड़ों की संख्या में तिब्बती युवक और युवतियों ने मुंह पर काली पट्टी बांधकर लगभग पांच किलोमीटर की पैदल यात्रा निकाली और भारत सहित समस्त विश्व समुदाय से तिब्बत की आजादी के लिए समर्थन मांगा।
गमगीन माहौल में निकली यह पदयात्रा तिब्बती संस्थान से निकल कर मूलगंध कुटी बिहार तक गई। यहां पर तिब्बतियों ने भगवान बुद्ध से अपने देश की आजादी के लिए प्रार्थना की।
ब्लैक डे का समर्थन कर रहे तेनजिंग दोरजे ने कहा कि हम ओलंपिक खेल के खिलाफ नहीं हैं लेकिन यह पवित्र खेल चीन जैसे अपवित्र जगह पर नहीं होना चाहिए। दोरजे ने आरोप लगाया कि चीन तिब्बती जनता का शोषण कर रहा है, वह मानवाधिकारों का खुलेआम उल्लंघन कर रहा है और दुख इस बात का है कि पूरी दुनिया चुपचाप देख रही है।
एक अन्य तिब्बती टिबा ने कहा कि तिब्बत की राजधानी ल्हासा के बौद्ध मठों से 1000 भिक्षुओं को तिब्बत के उत्तरी पूर्वी भागों में स्थित जेलों में बंद करके रखा गया है, जिसकी जानकारी यू.एन.ओ. तक को है लेकिन चीन के खिलाफ आवाज उठाने में उसने भी साथ नहीं दिया।
पैदल मार्च का नेतृत्व कर रहे रींगजिन छेरींग ने अपनी मांगें बताते हुए कहा कि सबसे पहले इस आंदोलन का हमारा मकसद सिर्फ चीन द्वारा तिब्बत में किए जा रहे शोषण की तरफ विश्व समुदाय का ध्यान खींचना है। दूसरा यह कि विश्व समुदाय तिब्बत की यथार्थ स्थिति का पता लगाए क्योंकि चीन सरकार तिब्बती जनता पर साम्यवाद स्वीकार करने का दबाव डाल रही है और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पूरी दुनिया जानती है कि तिब्बत पर पड़ चुकी चीनी ड्रैगन की काली साया उसे धीरे धीरे अब निगलती जा रही है। उन्होंने कहा कि समस्त विश्व समुदाय से अपील है कि तिब्बत को उससे मुक्त कराने में हमारी मदद करें।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।