अमरनाथ विवाद : तनाव कायम, शनिवार को जम्मू पहुंचेगा सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल (राउंडअप)
श्रीनगर/जम्मू, 8 अगस्त (आईएएनएस)। जम्मू कश्मीर में श्रीअमरनाथ श्राइन बोर्ड को आवंटित भूमि वापस लिए जाने के विवाद को सुलाझने के लिए लगातार प्रयास हो रहे हैं। शनिवार को केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल के नेतृत्व में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल जम्मू पहुंचेगा। वहीं शुक्रवार को भी घाटी में हिंसक प्रदर्शन का दौर चालू रहा।
अमरनाथ यात्रा संघर्ष समिति के नेताओं के साथ शनिवार को प्रतिनिधिमंडल की बैठक का कार्यक्रम है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में बुधवार को नई दिल्ली में हुई सर्वदलीय बैठक में इस संबंध में निर्णय लिया गया था। रविवार को प्रतिनिधिमंडल श्रीनगर का भी दौरा करेगा।
इस बीच श्रीअमरनाथ श्राइन बोर्ड (एसएएसबी) को आवंटित जमीन वापस लेने के फैसले के खिलाफ जम्मू कश्मीर में चल रहे आंदोलन को आगे बढ़ाते हुए अमरनाथ यात्रा संघर्ष समिति (एवाईएसएस) ने आगामी 14 अगस्त तक जम्मू क्षेत्र को बंद रखने का आह्वान किया है।
श्रीनगर में शुक्रवार को प्रदर्शनकारियों और पुलिकर्मियों के बीच झड़प में 12 से अधिक प्रदर्शनकारी और पुलिसकर्मी घायल हो गए। प्रदर्शनकारी संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षक समूह (यूएनएमओजी) कार्यालय तक रैली निकालना चाहते थे।
वरिष्ठ अलगाववादी नेताओं, सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारुक और शब्बीर अहमद शाह को प्रशासन ने उस समय नजरबंद कर दिया जब वे यूएनएमओजी तक रैली निकालना चाहते थे।
इन नेताओं ने घोषणा की थी कि वे यूएनएमओजी के मुख्यालय तक एक रैली निकाल कर वहां घाटी में कथित आर्थिक नाकेबंदी और जम्मू क्षेत्र में अल्पसंख्यकों के शोषण के खिलाफ ज्ञापन सौंपेंगे।
श्रीनगर में शुक्रवार को अलगाववादी समर्थकों ने बंद का आह्वान किया था। ये सभी हिंदू बहुल जम्मू क्षेत्र में कथित तौर पर मुस्लिमों को प्रताड़ित किए जाने का विरोध कर रहे हैं।
गौरतलब है कि श्रीअमरनाथ श्राइन बोर्ड भूमि आवंटन के मसले ने घाटी में सांप्रदायिक तनाव का रूप ले लिया है। जहां जम्मू में लोग बोर्ड को आवंटित भूमि वापस किए जाने की मांग कर रहे हैं, वहीं घाटी के मुस्लिम इसका विरोध कर रहे हैं।
जम्मू कश्मीर अमरनाथ विवाद की आग में गत पांच हफ्तों से अधिक समय से झुलस रहा है, जिसमें कम से कम 15 लोगों की मौत हो चुकी है।
उधर, श्रीनगर में प्रशासन ने शुक्रवार को कई अलगाववादी नेताओं को नजरबंद कर दिया, जबकि बंद के कारण घाटी का जनजीवन पूरी तरह अस्त व्यस्त रहा।
एक अन्य अलगाववादी नेता और जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के अध्यक्ष मोहम्मद यासीन मलिक को सौरा मेडिकल इंस्टीट्यूट के गहन चिकित्सा कक्ष में भर्ती कराया गया है। उनकी हालत अब स्थिर बताई जा रही है।
इस बीच श्रीनगर में सभी बाजार, शिक्षा संस्थान, बैंक शुक्रवार को बंद रहे और सार्वजनिक यातायात प्रभावित रहा। वाहनों के उपलब्ध नहीं होने की वजह से सरकारी कार्यालयों में भी नाममात्र की उपस्थिति रही।
प्राप्त रिपोर्टों के अनुसार दक्षिणी कश्मीर के अनंतनाग, पुलवामा, शोपियां और कुलगाम जिलों में बंद के कारण जनजीवन अस्तव्यस्त हो गया, हालांकि किसी अप्रिय घटना के समाचार नहीं हैं। उत्तरी कश्मीर के बारामूला, बांदीपुरा, कुपवाड़ा और गांदेरबल जिलों में भी बाजार बंद रहे।
उधर पुंछ में सांप्रदायिक झड़पों के बीच शुक्रवार की सुबह कर्फ्यू घोषित कर दिया गया। वहां स्थितियों को नियंत्रण में रखने के लिए सेना बुला ली गई है।
जानकारी के मुताबिक गुरुवार की रात दो समुदायों के लोग सड़कों पर उतर आए और श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड को भूमि आवंटित करने और उसे वापस लेने के मुद्दे पर एक दूसरे के खिलाफ प्रदर्शन करने लगे। दोनों समुदायों के लोगों ने एक दूसरे के पूजा स्थलों पर पथराव भी किया।
पुंछ जम्मू क्षेत्र के सात प्रमुख कस्बों में शामिल हैं। जम्मू में पिछले पांच हफ्तों से अमरनाथ भूमि विवाद को लेकर विरोध प्रदर्शनों का दौर चल रहा है और क्षेत्र के जम्मू, सांबा, कठुआ, राजौरी और भद्रवाह में पहले से ही कर्फ्यू लागू है।
इस बीच जम्मू में शुक्रवार को सुबह पांच बजे से कर्फ्यू में छह घंटे की ढील दी गई। इस दौरान कुछ दुकानें खुलीं और लोगों ने जरूरी सामान की खरीदारी की।
उधर, अमरनाथ भूमि विवाद को लेकर जम्मू कश्मीर में बने मौजूदा अस्थिर हालात का आतंकवादी फायदा उठा सकते हैं। यह चेतावनी सेना के एक वरिष्ठ कमांडर ने यहां शुक्रवार को दी।
नौंवीं कोर के जनरल कमांडिंग आफीसर लेफ्टीनेंट जनरल विनय शर्मा ने सुबह पत्रकारों से बातचीत में कहा, "हमें सबसे ज्यादा आशंका इस बात की है कि आतंकवादी प्रदर्शनकारियों के बीच विस्फोट कर जान-माल का भारी नुकसान कर सकते हैं।"
राज्य का प्रवेश द्वार समझे जाने वाले लखनपुर से लेकर जम्मू तक सेना के जवान तैनात किए गए हैं। सेना के जवान जम्मू-पठानकोट राजमार्ग तथा रेल पटरियों पर नजर रख रहे हैं।
शर्मा ने कहा कि प्रदर्शनकारी संभवत: आतंकवादियों के मंसूबों से वाकिफ नहीं हैं। आतंकवादी जनता को नुकसान पहुंचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।
शर्मा ने कहा कि सेना के जवान केवल तभी तक सड़कों और राजमार्गो पर हैं, जब तक हालात के मुताबिक उनकी जरूरत है। उन्होंने कहा, "एक बार स्थिति सामान्य होते ही वह अपनी जगह लौट जाएंगे।"
नौंवीं कोर के करीब 10, 000 जवान जम्मू में हैं और राज्य में दाखिल होने वाले ट्रकों और यात्री वाहनों को सुरक्षा मुहैया करवा रहे हैं।
शर्मा ने कहा, "यहां कोई आर्थिक नाकेबंदी नहीं है। ऐसी बातों में कोई सच्चाई नहीं है।"
कश्मीर घाटी के कई नेता हालात को और तनावपूर्ण बढ़ाने के लिए "आर्थिक नाकेबंदी" शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं।
भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता हरिओम ने कहा कि ये नेता पाकिस्तान के इशारे पर कश्मीर में गड़बड़ी फैलाने के लिए ऐसा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की महबूबा मुफ्ती और हुर्रियत कांफ्रेंस के नेता मीरवाइज उमर फारूक में कोई अंतर नहीं है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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