अभी भी कायम है 'मुगले आजम' का जादू
मुंबई, 7 अगस्त (आईएएनएस)। हिन्दी सिनेमा में मील का पत्थर बन चुकी 'मुगले आजम' 48 वर्ष पहले प्रदर्शित हुई थी, लेकिन पांच दशक गुजर जाने के बावजूद सलीम-अनारकली का जादू आज भी दर्शकों के सिर चढ़कर बोल रहा है।
मुंबई, 7 अगस्त (आईएएनएस)। हिन्दी सिनेमा में मील का पत्थर बन चुकी 'मुगले आजम' 48 वर्ष पहले प्रदर्शित हुई थी, लेकिन पांच दशक गुजर जाने के बावजूद सलीम-अनारकली का जादू आज भी दर्शकों के सिर चढ़कर बोल रहा है।
फिल्म 5 अगस्त 1960 को परदे पर आई थी और इसे तैयार करने में कुल एक करोड़ पांच लाख रुपये खर्च हुए थे। आपको जानकर ताज्जुब होगा कि फिल्म के निर्देशक के. आसिफ ने शूटिंग के लिए तैयार किए गए शीश महल पर ही 10 लाख रुपये खर्च कर डाले थे। फिल्म के लोकप्रिय गीत 'जब प्यार किसी से होता है' का फिल्मांकन इसी महल में किया गया था और उन दिनों फिल्म में पूंजी लगाने वाले शापूरजी पालोनजी दिवालिया होने की स्थिति में आ गए थे।
'मुगले आजम' में सलीम की भूमिका निभाने वाले दिलीप कुमार के मुताबिक फिल्म को तैयार होने में पूरे सात वर्ष लगे और इसका प्रीमियर मुंबई के मराठा मंदिर सिनेमा घर में हुआ था। उस जमाने में फिल्म को देश भर के 150 सिनेमा घरों में एक साथ प्रदर्शित किया गया था, जो अपने-आप में एक रिकार्ड था।
आसिफ ने पहली बार इस फिल्म के निर्माण की योजना वर्ष 1944 में बनाई थी और चंद्रमोहन को अकबर, सप्रू को सलीम और नरगिस को अनारकली की भूमिका के लिए चुना था, लेकिन योजना बीच में ही रोक दी गई।
दूसरी बार वर्ष 1953 में इस फिल्म पर काम शुरू किया गया, जिसमें पृथ्वीराज कपूर, दिलीप कुमार और मधुबाला क्रमश: अकबर, सलीम और अनारकली की भूमिका के लिए पसंद किए गए थे।
उल्लेखनीय है कि आसिफ ने इस फिल्म को हिन्दी, तमिल और अंग्रेजी भाषा में बनाने की योजना तैयार की थी, लेकिन तमिल भाषा में प्रदर्शित फिल्म के बॉक्स ऑफिस पर असफल होने के बाद अंग्रेजी भाषा में प्रदर्शित करने का विचार छोड़ दिया गया।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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