विशेषज्ञों से नाट्य कला के नए गुर सीख रहें हैं अभिनेता
मधुश्री चटर्जी
मधुश्री चटर्जी
नई दिल्ली, 6 अगस्त(आईएएनएस)। गर्मी की छुट्टियों का लुत्फ उठाकर बच्चे स्कूल लौट चुके हैं। अब कक्षाओं में बैठने की बारी पेशेवर अभिनेताओं की है। ये अभिनेता अभिनय कला के विशेषज्ञों से एक्टिंग के नए गुर सीखने के लिए नाट्य प्रशिक्षण शिविरों में जमा हो रहे हैं।
जाने-माने रूसी अभिनेता व निर्देशक कांस्टैटिन सर्गेयेविच स्टैनिस्लाव्स्की, जिन्हें सहज नाट्य शैली का प्रणेता माना जाता है, का मानना है कि अभिनय एक संजीदा ज्ञान है जिसे हमेशा तराशे जाने की जरूरत है, ताकि अभिनेता यथार्थ का इजहार करने की क्षमता से पूरी तरह लैस हों। उनकी इस मान्यता को भारत में भी अमली जामा पहनाने की कोशिश होती रही है।
भारत में मानसून सत्र में नाट्य प्रशिक्षण शिविरों के आयोजन की पुरानी परिपाटी रही है। इसकी वजह यह है कि इस अवधि में देश में नाट्य मंचन की गतिविधियां कम हो जाती हैं और कलाकारों की व्यस्तता घट जाती है। दिल्ली स्थित अभिनेता-निर्देशक और पटकथा लेखक सुनीत सिन्हा ने आईएएनएस से बातचीत करते हुए कहा, "इस तरह के शिविरों के दो उद्देश्य होते हैंे। पहली बात तो यह कि ऐसे शिविरों के माध्यम से नाट्य मंडलियां खुद अपने कलाकारों को प्रशिक्षित करती हैं। दूसरी बात यह कि इससे नई प्रतिभाओं को तराशने और आगामी खर्च के लिए कोष जुटाने में मदद मिलती है।"
इस साल दिल्ली में मई और जून के बीच बच्चों के लिए कई शिविरों का आयोजन किया गया। जून के बाद से नाट्य समूहों की ओर से नए और अनुभवी दोनों तरह के कलाकारों के लिए शिविर आयोजित किए जाते हैं। अगस्त में एनएसडी के साथ मिलकर कैमीलियॉन एक्टर-एडवांस एक्टिंग स्किल्स ट्रेनिंग वर्कशॉप का आयोजन करने वाले सुनीत कहते हैं कि वह हर प्रतिभागी से बतौर फीस 6000 रुपए लेते हैं। एनएसडी और दूसरी नाट्य संस्थाओं व समूहों द्वारा भी ऐसे प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जाते रहे हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।