मोनिका देवी ने खुद को निर्दोष बताया
नई दिल्ली, 6 अगस्त (आईएएनएस)। प्रतिबंधित दवाओं के सेवन की दोषी पाई गईं भारत की महिला भारोत्तोलक मोनिका देवी ने खुद को निर्दोष बताया है। मोनिका ने बुधवार को कहा कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया है और इस मामले में भारतीय भारोत्तोलन महासंघ उनके साथ है।
मणिपुर की इस भारोत्तोलक को 'एनाबॉलिक स्टेरॉयड' के सेवन का दोषी पाया गया है। डोप कांड में नाम जुड़ने के बाद मोनिका भारतीय दल के साथ बीजिंग नहीं जा सकीं। भारतीय दल मंगलवार रात बीजिंग रवाना हो चुका है।
बुधवार को यहां आयोजित संवाददाता सम्मेलन में आसुंओं में डूबी मोनिका ने पत्रकारों से कहा कि इससे पहले वह कभी डोप परीक्षण में नाकाम नहीं हुई हैं। उन्होंने भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) से आग्रह किया कि उन्हें बीजिंग जाने दिया जाए।
मोनिका ने कहा, "मैं निर्दोष हूं। इससे पहले किसी भी अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में मेरा एक बार भी परीक्षण नहीं किया गया। मुझे बीजिंग जाने दिया जाए। अगर मैं वहां भी डोप परीक्षण में नाकाम हुई तो प्रतिबंध क्या चीज है, आप मेरी जान ले लीजिए।"
भारतीय भारोत्तोलन महासंघ के सचिव बी. आर. गुलाटी मोनिका के पास खड़े थे। उन्होंने कहा कि मोनिका पर किए गए परीक्षण की कोई वैधता नहीं है क्योंकि परीक्षण करने वाली भारतीय प्रयोगशाला मान्यताप्राप्त नहीं है।
गुलाटी ने कहा, "यह परीक्षण अनियमित तौर पर लिया गया। परीक्षण करने वाली भारतीय प्रयोगशाला डोपिंग निरोधी विश्व संस्था (वाडा) द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है। इसने प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया है। मोनिका से जुड़ी रिपोर्ट आंतरिक तौर पर जारी की गई है। हमें इसकी कोई प्रतिलिपी नहीं मिली है। मुझे तो इसमें षड़यंत्र की गंध आ रही है।"
मोनिका को 69 किलोग्राम भार वर्ग में ओलंपिक में भारतीय चुनौती पेश करनी थी। वे बीजिंग ओलंपिक में शिरकत करने वाली भारत की एकमात्र भारोत्तोलक थीं। भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) द्वारा कराए गए परीक्षण में उन्हें प्रतिबंधित दवाओं के सेवन का दोषी पाया गया।
मोनिका का चयन पुणे और बंगलौर में हुए ट्रायल के बाद किया गया था। भारोत्तोलन महासंघ ने जुलाई में प्री-ओलंपिक ट्रायल कराए थे, जिसमें आंध्रप्रदेश की शैलजा पुजारी ने मोनिका से बेहतर प्रदर्शन किया था। इसके बावजूद मोनिका का चयन ओलंपिक के लिए किया गया। दूसरी ओर, शैलजा को यह आरोप लगाकर टीम से निकाल दिया गया कि उन्होंने टीम में आने के लिए घूस देने का प्रयास किया।
भारतीय भारोत्तोलक लंबे समय से प्रतिबंधित दवाओं के सेवन के दोषी पाए जाते रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धाओं में भी भारतीय खिलाड़ी डोप परीक्षण में नाकाम होते रहे हैं। 2004 के एथेंस ओलंपिक के बाद से अब तक दो बार भारतीय भारोत्तोलकों को अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में शिरकत करने से रोका जा चुका है।
मई से लेकर आज तक मोनिका सहित चार भारोत्तोलक डोप परीक्षण में नाकाम रहे हैं। जूनियर भारोत्तोलक हरप्रीत सिंह को जून में स्टेरयॉएड के सेवन का दोषी पाया गया था, जबकि कविता देवी मई में वाडा द्वारा कराए गए डोप परीक्षण में नाकाम रही थीं।
कविता को जापान में आयोजित महिलाओं की एशियाई चैंपियनशिप से वापस भेज दिया गया था। इसके बाद भारतीय महासंघ ने उन पर दो साल का प्रतिबंध लगा दिया था। जून में ही भारत के एक और भारोत्तोलक पारितोष उपाध्याय को साई ने प्रतिबंधित दवाओं के सेवन का दोषी पाया था।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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