बीजिंग में पेस और भूपति के पास आखिरी मौका
नई दिल्ली, 6 अगस्त (आईएएनएस)। पांचवीं बार ओलंपिक में शिरकत करने जा रहे भारत के दिग्गज टेनिस खिलाड़ी लिएंडर पेस और युगल मुकाबलों में दुनिया के सफलतम खिलाड़ियों में शुमार महेश भूपति के पास बीजिंग ओलंपिक में एक जोड़ीदार के रूप में पदक जीतने का आखिरी मौका होगा।
बहुत कम लोगों को याद होगा कि 1996 के अटलांटा ओलंपिक में टेनिस की एकल स्पर्धा में कांस्य पदक जीतने से पहले पेस 1992 के बार्सिलोना ओलंपिक की युगल स्पर्धा में कांस्य पदक जीतने के काफी करीब पहुंच गए थे।
बार्सिलोना में पहली बार ओलंपिक में शिरकत करने वाले पेस बीजिंग में पांचवीं बार देश का प्रतिनिधित्व करेंगे। बार्सिलोना के बाद ओलंपिक के तीन संस्करणों में पेस ने भूपति को अपना जोड़ीदार बनाया है। दोनों ने वर्षो तक युगल वर्ग में दुनिया भर में राज किया, लेकिन हैरानी की बात यह है कि यह जोड़ी कभी भी ओलंपिक पदक नहीं जीत सकी।
एथेंस ओलंपिक में पेस-भूपति पदक के सबसे करीब पहुंचे थे। सेमीफाइनल में उन्हें हार मिली थी।
बार्सिलोना में पेस भारत के पूर्व डेविस कप कप्तान रमेश कृष्णन के साथ खेले थे। प्री-क्वार्टर फाइनल में भारतीय जोड़ी ने आस्ट्रेलिया के जॉन फट्जगेराल्ड तथा टॉड वुडब्रिज को हराया था, लेकिन क्वार्टर फाइनल में वे क्रोएशिया के गोरान इवानिसेविक और गोरान पर्पिक से हार गए थे।
चार वर्ष बाद सिडनी ओलंपिक में पेस-भूपति को मार्क वुडफोर्ड और टॉड वुडब्रिज के हाथों दूसरे दौर में हार मिली थी, जबकि एथेंस में वे जर्मनी के निकोलस कीफर और रेनर शटलर के हाथों सेमीफाइनल में हारे थे।
इसके बाद पेस-भूपति के बीच मनमुटाव पैदा हो गया, जिसके कारण दोनों 2006 के दोहा एशियाई खेलों में जोड़ीदार के रूप में नहीं खेले। बीजिंग ओलंपिक के लिए फिर से जोड़ी बनाने के लिए उनकी काफी मान-मनुहार करनी पड़ी थी। ऐसे में जबकि पेस अपने करियर के आखिरी मुकाम पर हैं और भूपति फिटनेस की समस्या से जूझ रहे हैं, यह देखना वाकई रोचक होगा कि क्या यह जोड़ी बीजिंग में पदक जीत पाएगी।
पेस-भूपति भारतीय टेनिस प्रेमियों के लिए बड़ी उम्मीद बनकर उभरे हैं। हालांकि पेशेवर स्तर पर उनके बीच लंबे समय तक चला मनमुटाव उनकी सफलता की राह में आड़े आ सकता है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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