'भगवान भी भारत का भला नहीं कर सकता'
नई दिल्ली, 5 अगस्त (आईएएनएस)। नेताओं और नौकरशाहों द्वारा सरकारी बंगलों व आवासों में कब्जा जमाए जाने की समस्या से पार न पाने के लिए सरकार के रवैये की कड़े शब्दों में आलोचना करते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि भगवान भी इस देश की मदद नहीं कर सकते।
सरकारी बंगलों व आवासों में निर्धारित समय सीमा पार हो जाने के बाद भी नेताओं व नौकरशाहों के जमे रहने की लगातार प्राप्त हो रही शिकायतों के मद्देनजर अदालत ने संबंधी कानून में संशोधन करने व ऐसे क्रियाकलापों को गैर-जमानती अपराध का दर्जा देने का प्रस्ताव सरकार के समक्ष रखा था।
सरकार द्वारा इस दिशा में कोई कदम न उठाए जाने से नाराज न्यायाधीश बी. एन. अग्रवाल और न्यायाधीश जी. एस. सिंघवी की पीठ ने कहा, "भगवान ही सिर्फ इस देश की जनता की मदद कर सकते हैं।"
न्यायाधीश अग्रवाल ने आगे कहा, "अब तो भगवान भी देश की जनता की मदद नहीं कर सकते। वे भी मूकदर्शक बन गए हैं। वे असहाय हो गए हैं।"
अदालत ने अपने लिखित आदेश में कहा है कि इस बारे में सरकार को कुछ भी कहना व्यर्थ है। हालांकि हमारी निगाह में सरकार का रुख निंदनीय है लेकिन केंद्र या राज्य सरकारें इस पर लगाम कसने की स्थिति में नहीं हैं। क्योंकि सरकारी अधिकारी सामान्य कानून के तहत कार्रवाई कर रहे हैं और लापरवाही बरत रहे हैं।
अदालत ने कहा, "इस पर लगाम कसने के लिए नियम कायदे हैं लेकिन किसे इसकी चिंता है। कोई भी सरकार काम नहीं करती। सारी सरकारें निष्क्रिय हो गई हैं। इसलिए तो इतनी सारी जनहित याचिकाएं आती हैं।"
अदालत ने इसके लिए नेताओं को जिम्मेदार ठहराया है। अदालत ने कहा है कि ये नेता जब सत्ता में रहते हैं तो न्यायिक सक्रियता की बात करते हैं लेकिन सत्ता जाते ही वे जनहित याचिका दायर करने में मशगूल हो जाते हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।