करियर : व्यावसायिक अध्ययन से मिलेंगे रोजगार
नई दिल्ली, 5 अगस्त (आईएएनएस)। आज यह आवश्यक है कि आप दूसरों से एक कदम आगे ही रहें। यह जरूरी हो गया है कि कॉलेज डिग्री के अलावा आपके पास कुछ अन्य शिक्षण-प्रशिक्षण की डिग्री भी हो। इसी वजह से अल्पकालीन पाठ्यक्रम चलाए जा रहे हैं । ऐसे पाठ्क्रम से व्यक्ति की प्रतिभा एवं कौशल विकसित होते हैं।
इन पाठ्यक्रमों के माध्यम से आप अधिक मित्र बना सकते हैं, आप में अधिक आत्मविश्वास आता है तथा आपको दुनिया की अधिकाधिक जानकारी मिलती है। आपका जीवनवृत्त (बायोडाटा) अधिक प्रभावी बन जाता है। ऐसे अनेक व्यावसायिक पाठ्यक्रम हैं, जिनमें उत्तीर्ण होकर आप अच्छी-खासी आजीविका चला सकते हैं।
कंप्यूटर- नि:संदेह सर्वाधिक लोकप्रिय विकल्प कंप्यूटर है। आज कंप्यूटर सीखना अनिवार्य हो गया है। कंप्यूटर पाठ्यक्रम के लिए आपके पास वाणिज्य या विज्ञान की पृष्ठभूमि का होना आवश्यक नहीं है। कंप्यूटर में डिप्लोमा होने पर आप अन्यों की तुलना में बेहतर स्थिति में आ सकते हैं। किसी भी कंप्यूटर सेंटर में यह पाठ्यक्रम करने के लिए लगभग पच्चीस से लेकर पचपन हजार रुपये तक खर्च आता है।
जावा के अलावा 'सी++' तथा अन्य उच्च स्तरीय पाठ्यक्रमों की असाधारण रोजगार संबंधी संभावनाएं हैं। तथापि उच्च स्तरीय पाठ्यक्रमों में एकमात्र समस्या यही है कि बहुत जल्दी से पाठ्यक्रम पुराने पड़ जाते हैं, लेकिन तब भी कंप्यूटर आधारभूत पाठ्यक्रम निश्चित रूप से सहायक होते हैं।
कमर्शियल आर्ट- यदि आपकी शैक्षणिक क्षेत्र में रुचि नहीं है तथा आप ऐसा कुछ करना चाहते हैं, जिससे आपकी रचनात्मक और कलात्मक प्रकृति को संतोष मिले तो आपको कमर्शियल आर्ट से जुड़े स्कूलों में जाना चाहिए। बुटीक पेंटिंग, बाइंडिंग, छपाई (प्रिंटिंग), कागज से वस्तुएं बनाने, फैब्रिक पेंटिंग, फूल बनाने, पैच वर्क, तैल चित्रकला जैसे अल्पकालीन अनेक क्षेत्र हैं, जिनसे आपका बायोडाटा या संक्षिप्त परिचय प्रभावशाली बन सकता है। फैशन डिजाइनिंग का छात्र ऐसे पाठ्यक्रमों से अधिक लाभ उठा सकता है। यहां पर पांच सौ से पंद्रह हजार रुपये प्रति मास तक लागत आती है। यह खर्च पाठ्यक्रम या संस्थानों पर निर्भर करता है।
पुस्तक प्रकाशन- संप्रेषण के किसी भी माध्यम की तुलना में लिखित शब्द में अभिव्यक्ति अधिक प्रभावशाली होती है। यदि लेखन में आपकी रुचि है तो प्रिंटिंग और प्रकाशन के पाठ्यक्रम आपके लिए अधिक उपयुक्त होंगे, ताकि आप संपादकीय जिम्मेदारी उठा सकें। शंकर कला अकादमी, बहादुर शाह जफर मार्ग में पुस्तक प्रकाशन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा कराया जाता है, जबकि राष्ट्रीय पुस्तक न्यास (एनबीटी) में पुस्तक प्रकाशन में हर वर्ष अक्टूबर में चार सप्ताह की कार्यशाला आयोजित की जाती है।
शंकर अकादमी में चलाए जा रहे पाठ्यक्रम की फीस लगभग पांच हजार रुपये है, जबकि एनबीटी में तीन हजार रुपये फीस ली जाती है। पुस्तकों आदि की मार्केटिंग तथा बिक्री के प्रबंधन के लिए बड़े और प्रतिष्ठित प्रकाशकों द्वारा प्रबंध क्षेत्र में स्नातकोत्तरों की भरती की जाती है।
रेडियो-जॉकिंग- क्या आपकी आवाज में इतना जादू है कि आप लोगों का मन जीत सकें, मन बहला सकें, श्रोतागण भावातिरेक में डूब जाएं, चटपटी बातें सुना सकें, साथ ही उदासी या गंभीर विषय को भी प्रभावी ढंग से व्यक्त कर सकें? यदि आपका उत्तर 'हां में है तो रेडियो-जॉकिंग क्षेत्र आपके लिए उपयुक्त है। आपको सिर्फ संगीत, बैंड, उनके इतिहास, सजीव वर्णन, लोकप्रिय ट्रैक तथा बहुत अधिक लोकप्रिय न हो सकी हस्तियों तथा घटनाओं में रुचि होनी चाहिए, इनकी जानकारी होनी चाहिए। अकादमिक अध्ययन के साथ-साथ आप पब्लिक स्पीकिंग या प्रसारण का पाठ्यक्रम भी कर सकते हैं।
भारत भर के विभिन्न जन-संचार संस्थानों में उक्त पाठ्यक्रम चलाए जा रहे हैं। फिर भी कहना होगा कि रेडियो-जॉकिंग का पाठ्यक्रम बहुत कम संस्थानों में चलाया जा रहा है। हां, मीडिया से जुड़ी प्रख्यात हस्तियां, समाचार-वाचक तथा रेडियो-जॉकी इस प्रकार की कार्यशालाएं चलाते रहते हैं। ऐसी भी व्यवस्था विद्यमान है कि आप चाहें तो थिएटर अपना सकते हैं या समाचार-वाचन का रास्ता चुन सकते हैं।
फोटोग्राफी- यदि आप मीडिया का हिस्सा बनना चाहते हैं, लेकिन रेडियो-जॉकिंग का क्षेत्र आपको वस्तुत: प्रेरित नहीं कर रहा है तो फोटोग्राफी का पाठ्यक्रम आपका करियर बन सकता है। यह व्यवसाय के साथ-साथ कला-साधना भी है। जरूरत इस बात की है कि रंग, शेड और छाया के प्रति जागरूकता तथा प्रकाश व्यवस्था में आपकी रुचि हो। एनआईएफटी ने इंटरनेशनल कॉलेज ऑफ प्रोफेशनल फोटोग्राफी (आईसीपीपी) आस्ट्रेलिया के साथ मिलकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर का फोटोग्राफी पाठ्यक्रम आरंभ किया है। एनआईएफटी में छह माह के इस पाठ्यक्रम की कुल फीस अस्सी हजार रुपए है तथा जे. डी. इंस्टीच्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी में फैशन फोटोग्राफी में तीन मास के व्यापक पाठ्यक्रम की फीस इकहत्तर हजार रुपए है।
इसके अलावा, त्रिवेणी कला संगम में फोटोग्राफी का अंशकालीन पाठ्यक्रम चलाया जाता है। यहां प्राथमिक और उच्च स्तरीय दो प्रकार के पाठ्यक्रम चलाए जाते हैं, जिनकी अवधि पांच महीने है, हालांकि प्राथमिक पाठ्यक्रम कैमरे के विभिन्न प्रकारों से जुड़ा है, लेकिन उच्च स्तरीय पाठ्यक्रम में श्वेत-श्याम फिल्मों की विभिन्न किस्मों, उनके उपयोग की विविध विशेषताओं, डार्क-रूम के बारे में जानकारी, फिल्म डेवलप करने की विधियां आदि जैसे फोटोग्राफी के विभिन्न पक्षों के विस्तृत ब्योरों की जानकारी दी जाती है।
विदेशी भाषाएं- वर्तमान में विदेशी भाषाओं का जितना अधिक महत्व है उतना पहले नहीं था। भाषाएं भी ऐसा अन्य विकल्प हैं, जिसमें विशिष्ट कौशल दिखाए जा सकते हैं। इस क्षेत्र में पूर्णकालीन पाठ्यक्रम भी चलाए जाते हैं। विदेशी भाषा सीखने की प्रक्रिया रोचक है, इसमें दुभाषिए तथा अनुवादक के रूप में अंशकालीन कार्य करने का विकल्प भी है। इसके लिए मात्र स्नातक डिग्री होना ही पर्याप्त नहीं है, अपितु पर्याप्त बुद्धिमत्ता भी आवश्यक है।
भाषा विकल्प असंख्य हैं। हम अधिक लोकप्रिय फ्रांसीसी और जर्मन भाषा से लेकर कम लोकप्रिय तथा अधिक कठिन जापानी और रूसी भाषाएं सीख सकते हैं। एलाइंस फ्रेंकाइस, मैक्समूलर भवन, इंडो-जापानी सेंटर क्रमश: फ्रेंच, जर्मन, जापानी भाषाएं सिखाते हैं।
संगीत और नृत्य- कुछ वर्षो पहले तक नृत्य और संगीत मात्र शौक माने जाते थे। नृत्य और संगीत में व्यावसायिक प्रशिक्षण से व्यक्ति का जीवनवृत्त आकर्षक बन जाता है। विद्यार्थी जीवन में आपके पास काफी समय होता है तथा ऐसी कला सीखना उचित होता है, जो रुचि का विषय होने के साथ-साथ आपका करियर भी बन सकता है। ऐसे अनेक स्कूल और संस्थान हैं, जहां संगीत और नृत्य में औपचारिक प्रशिक्षण दिया जाता है।
यामिनी नृत्य स्कूल, राष्ट्रीय नृत्य और संगीत संस्थान, श्रीराम भारतीय कला केंद्र आदि में नृत्य से संबंधित पाठ्यक्रम चलाए जाते हैं। इसके अतिरिक्त भारतीय कला केंद्र और दिल्ली स्कूल ऑफ म्यूजिक, दिल्ली संगीत में विधिवत शिक्षा दी जाती है। यदि इन संस्थानों में जाना संभव नहीं है तो आप किसी प्रतिष्ठित संगीतज्ञ से संगीत की शिक्षा ले सकते हैं। अनेक संगीतज्ञ इस कला के प्रति समर्पित शिष्यों को संगीत का प्रशिक्षण देते हैं।
(करियर संबंधी और अधिक जानकारी के लिए देखिए ग्रंथ अकादमी, नई दिल्ली से प्रकाशित ए. गांगुली और एस. भूषण की पुस्तक "अपना कैरियर स्वयं चुनें"।)
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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