यादाश्त बरकरार रखनी है, तो मछली खाइए!
वांशिगटन, 5 अगस्त (आईएएनएस)। टूना और अन्य किस्म की मछलियां खाने से ना सिर्फ यादाश्त गुम होने का खतरा घटता है, बल्कि पक्षाघात की आशंका भी कम हो जाती है।
65 वर्ष और उससे ज्यादा उम्र के 3,660 लोगों पर किए गए एक अध्ययन से यह तथ्य उजागर हुआ है। इन सभी के मस्तिष्क की स्कैनिंग कर इस बात की तय तक जाने की कोशिश की गई कि किन कारणों से पक्षाघात होता है या फिर इंसान की यादाश्त घटती है।
पांच वर्ष के अंतराल के बाद 2313 लोगों का यह स्कैन फिर से कराया गया और अध्ययन शामिल सभी लोगों से उनके भोजन में मछली के इस्तेमाल संबंधी प्रश्न शामिल किए गए।
फिनलैंड की कुपियो यूनिवर्सिटी द्वारा कराए गए अध्ययन में पाया गया कि लोग सप्ताह में तीन या उससे ज्यादा बार उबली या सिकी हुई टूना या अन्य किस्म की किसी मछली का इस्तेमाल करते हैं, उनमें यादाश्त घटने या उनके पक्षाघात से पीड़ित होने की आशंका 26 प्रतिशत घट जाती है।
सप्ताह में एक बार मछली खाने वालों में यादाश्त घटने या पक्षाघात होने की आशंका 13 प्रतिशत घटती है।
फिनलैंड यूनिवर्सिटी के जिरकी वितानेन ने बताया कि इससे पहले के अध्ययनों में बताया गया था कि मछली खाने और उसके तेल के इस्तेमाल करने से पक्षाघात से बचा जा सकता है, लेकिन यह एकमात्र ऐसा अध्ययन है, जिसमें स्वस्थ वृद्धों के मस्तिष्क पर मछली के प्रभावों का आकलन किया गया है।
इस अध्ययन के नतीजे अमेरिकन एकेडमी आफ न्यूरोलॉजी की न्यूरोलॉजी पत्रिका के मंगलवार के संस्करण में प्रकाशित हुए हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।