पवित्र पहाड़ी पर खनन का विरोध करने ब्रिटेन पहुंचे उड़ीसा के जनजाति लोग
लंदन, 3 अगस्त (आईएएनएस)। उड़ीसा के डोंगरिया कोंध जनजातियों का एक दल उनकी पवित्र माने जानी वाली पहाड़ी पर वेदांत र्सिोस कंपनी की खनन योजना का विरोध करने के लिए लंदन पहुंच गया है।
लंदन, 3 अगस्त (आईएएनएस)। उड़ीसा के डोंगरिया कोंध जनजातियों का एक दल उनकी पवित्र माने जानी वाली पहाड़ी पर वेदांत र्सिोस कंपनी की खनन योजना का विरोध करने के लिए लंदन पहुंच गया है।
जनजातियों के दल ने वेंदात र्सिोस की वार्षिक आम सभा की बैठक में बताया कि कंपनी ने किस तरह खनन शुरू करने के पहले ही पर्यावरण को क्षति पहुंचाई है।
समाचार पत्र 'द इंडिपेंडेंट' के अनुसार इसके बाद वेदांत र्सिोस के संस्थापक और अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने वादा किया कि वे केवल न्यायालय और जनता की सहमति के बाद ही काम शुरू करने की अनुमति देंगे।
इस मुद्दे ने भारत और ब्रिटेन में हंगामा खड़ा कर दिया है और मामला इस समय न्यायालय में है। एक शीर्ष ब्रिटिश दान संस्था ने इस मामले में जैसे को तैसा व्यवहार करने को कहा है। संस्था ने पहाड़ियों पर खुदाई शुरू करने पर लंदन के सेंट पाल कैथेड्रिल को नष्ट करने की अपील की है।
वेंदात र्सिोस को उड़ीसा की न्यामगीरी पहाड़ियों पर बाक्साइट खनन के लिए अनुमति मिली है। लेकिन भारतीय संविधान के अनुसार संरक्षित वन क्षेत्र की जमीन उस इलाके में रहने वाले आदिवासियों की अनुमति के बिना निजी व्यक्ति को नहीं सौंपी जा सकती है।
समस्या तब बढ़ गई जब जनजातियों ने कहना शुरू कर दिया कि जिस पहाड़ी पर खनन होना है वह पवित्र है। पर्यावरण समूह जनजातियों का समर्थन कर रहे हैं।
पिछले साल भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने वेदांत र्सिोस को खनन की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। लेकिन बाद में न्यायालय ने वेदांत की सहायक स्टरलाइट को अपने मुनाफे का पांच प्रतिशत वन संरक्षण और जनजातियों के कल्याण पर खर्च करने की शर्त पर खनन की अनुमति दे दी।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।