43 बरस के संघर्ष के बाद भी नहीं मिली जमीन
नई दिल्ली, 2 अगस्त (आईएएनएस)। कय्यूम खान पिछले 43 वर्षो से अपने पिता की उस जमीन को पाने के लिए संघर्ष कर रहा है, जिसे कथित तौर पर सरकार ने ऐसी संपत्ति करार देते हुए बेच दिया, जिसके स्वामी या तो विभाजन के समय पाकिस्तान चले गए या लापता हैं। दिल्ली उच्च न्यायालय ने अब इस मामले का संज्ञान लिया है।
नई दिल्ली, 2 अगस्त (आईएएनएस)। कय्यूम खान पिछले 43 वर्षो से अपने पिता की उस जमीन को पाने के लिए संघर्ष कर रहा है, जिसे कथित तौर पर सरकार ने ऐसी संपत्ति करार देते हुए बेच दिया, जिसके स्वामी या तो विभाजन के समय पाकिस्तान चले गए या लापता हैं। दिल्ली उच्च न्यायालय ने अब इस मामले का संज्ञान लिया है।
कय्यूम के पिता विभाजन के बाद भारत में ही रह गए थे और राजधानी में काम करते थे। पिता की मृत्यु के बाद कय्यूम ने प्रशासन को संपत्ति उसे देने का अनुरोध किया, लेकिन वे नाकाम रहे।
वर्ष 1965 में सरकार ने कय्यूम के पिता की जमीन बेच दी थी, जिसके बाद उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया।
अदालत की एक खंडपीठ ने सरकार को आदेश दिया है कि इस मामले में आगे बढ़ने से पहले जमीन की बिक्री के 12,500 रुपये ब्याज समेत अदालत में जमा किए जाए। यह जमीन दक्षिणी दिल्ली के भोगल में है।
मुख्य न्यायाधीश अजित प्रकाश शाह और न्यायमूर्ति एस. मुरलीधर ने पिछले सप्ताह पाया कि 60 वर्षीय कय्यूम पिछले 43 वर्षो से अपने पिता की संपत्ति हासिल करने के लिए संघर्ष करते रहे हैं। इस बीच सरकार कय्यूम की मुश्किलों पर ध्यान देने के बजाय तमाम अदालती निर्णयों के खिलाफ बार बार अपील करती रही।
अदालत ने कय्यूम की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए एक वकील की भी नियुक्ति की है। खान ने आईएएनएस से कहा, "हालांकि यह पैसा काफी कम है, लेकिन मुझे उम्मीद है कि अंतत: न्याय की जीत होगी।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।