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अकेले जीवन जीने वाले हो सकते हैं मानसिक बीमार

By Staff
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शिकागो, 2 अगस्त (आईएएनएस)। अगर कोई अधेड़ उम्र का व्यक्ति अकेले रहता है तो उसमें शादी-शुदा या साथी के साथ रहने वाले व्यक्ति की तुलना में मानसिक रूप से बीमार पड़ने की संभावना दोगुनी हो जाती है।

स्पीडेन के शोधकर्ताओं ने अपने शोध निष्कर्स में यह बात कही है। हाल ही में 'कैरोलिंस्का इस्टीट्यूट' द्वारा कराए गए शोध में कहा गया है कि अकेले रहने वाले तलाक शुदा व्यक्ति में यह खतरा तीन गुना और युवा अवस्था में विधवा या विदुर होने वाले व्यक्ति में मानसिक बीमारी से पीड़ित होने की संभावना छह गुना बढ़ जाती है।

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक शोधकर्ताओं ने 1449 लोगों पर अध्ययन करने के 21 साल बाद फिर से उनका परीक्षण किया। इनमें 139 में ज्ञान बोध की कमी पाई जबकि 48 को अल्जाइमर का शिकार पाया गया। अल्जाइमर एक तरह की मानसिक बीमारी है।

यद्यपि, मानसिक बीमारी के शिकार होने के पीछे कई और कारण हो सकते हैं लेकिन शोधकर्ताओं के मुताबिक साथी के साथ रहने वाले लोगों में ऐसे मामले कम देखे गए। शोधकर्ताओं ने कहा कि साथियों के बीच सामाजिक संवाद के कारण ऐसा हो सकता है।

अध्ययन का नेतृत्व कर रहे क्रिस्टर हैकैन्सन ने कहा, "साथी के साथ रहना एक सबसे बेहतर सामाजिक स्वरूप होता है। यदि सामाजिक बंधनों से मानसिक बीमारी को रोका जा सकता है तो इस बंधन में रहना चाहिए।"

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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