घातक हो सकता है निद्रा अश्वसन
वाशिंगटन, 2 अगस्त (आईएएनएस)। सोते समय सांस लेने में तकलीफ यानी निद्रा अश्वसन से पीड़ित लोगों में सामान्य लोगों की तुलना में मृत्यु का जोखिम बढ़ जाता है। इलाज नहीं करवाए जाने की स्थिति में यह जोखिम धीरे धीरे बढ़ता ही जाता है।
एक अध्ययन में पाया गया है कि नींद में जिन लोगों को सांस लेने में तकलीफ होती है या जो लोग सोते समय रुक रुक कर सांस लेते हैं, उनमें मृत्यु का जोखिम वैसे लोगों की तुलना में तीन गुना ज्यादा होता है, जिन्हें यह बीमारी नहीं है।
यह निष्कर्ष 18 वर्षो के लंबे अध्ययन पर आधारित है। इस अध्ययन के लिए 30 से 60 वर्ष उम्र के 1,522 लोगों को शामिल किया गया।
अमेरिका स्थित 'यूनिवर्सिटी आफ विस्कॉन्सिन-मैडिसन' के प्रोफेसर और इस अध्ययन के मुख्य अन्वेषक टेरी यंग ने कहा, "हमने पाया है कि निद्रा अश्वसन से पीड़ित ज्यादातर महिला एवं पुरुष इस बीमारी की जांच और इलाज नहीं करवाते हैं। ऐसे में उनकी मृत्यु का जोखिम बना रहता है।'
यंग ने कहा, "मुझे यह देखकर हैरानी हुई कि निद्रा अश्वसन बीमारी से पीड़ित जिन लोगों का इलाज निरंतर दबाव सकारात्मक श्वासनली (सीपीएपी) चिकित्सा प्रणाली के माध्यम से किया गया उनकी मृत्यु का जोखिम आश्चर्यजनक रूप से कम हो गया।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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