करियर : पेशेवर पायलट के रूप में बनाएं भविष्य
नई दिल्ली, 31 जुलाई (आईएएनएस)। 'पायलट' शब्द ग्लैमर, विशेष भत्तों और ऊंची उड़ान से जुड़ा है। वस्तुत: इस करियर में अत्याधिक आकर्षण है, जबकि अन्य सामान्य नौकरियों में इसका अभाव है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि सफलता की ऊंची उड़ान भरने के लिए इच्छुक पायलट को अग्निपरीक्षा से गुजरना पड़ता है, जिसमें बहुत कम लोग सफल हो पाते हैं।
यद्यपि यह करियर बहुत पुराना है, फिर भी इस क्षेत्र में नए-नए अवसर मिलते रहते हैं। आज तो भारत के आकाश में घरेलू एवं अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों की भरमार होती जा रही है।
एयर इंडिया ने सबसे पहले सन् 1948 में लंदन की उड़ान भरी थी और आज भारत का सिविल तथा वाणिज्यिक एयरवे क्षेत्र काफी विस्तृत हो चुका है। वैश्वीकरण के कारण नौवें दशक में भारत द्वारा अपनाई गई नीति से व्यवसाय, उद्योग एवं पर्यटन क्षेत्र में वृद्धि की प्रक्रिया जारी है। एयरलाइन ट्रेड की संभावनाएं आर्थिक कार्यो से जुड़ी हैं। अगले पांच वर्षो के भीतर वाणिज्यिक पायलट की आवश्यकता दोगुनी हो जाएगी।
वाणिज्यिक (पेशेवर) पायलट का कार्य काफी मानसिक दबाव वाला होता है, क्योंकि उसके कंधों पर सैकड़ों यात्रियों की जिम्मेदारी होती है। ऐसे पायलट को केवल उड़ान प्रक्रिया से ही भलीभांति परिचित नहीं होना चाहिए बल्कि उसे मौसम-विज्ञान, वायु-संचालन, अत्याधिक अधुनातन उपकरण व मशीनरी की जटिलताओं का भी ज्ञान होना चाहिए।
इसके अतिरिक्त सफल पायलट बनने के लिए आपके पास समुचित मानसिक योग्यता एवं शीघ्र प्रतिक्रिया करने की क्षमता भी होनी चाहिए। उच्च स्तरीय मानसिक योग्यता के बलबूते पर पायलट को तूफान, एयर ट्रैफिक नियंत्रण से संपर्क टूट जाने पर अचानक यांत्रिक रुकावट तथा विमान अपहरण जैसे खतरों से बचाव के लिए तुरंत निर्णय लेने पड़ते हैं। इसके बाद पायलट के प्रशासनिक अनुसूचियों से संबंधित कार्य आते हैं। उन्हें उड़ान की समय सारणी, रिफ्यूलिंग अनुसूची, फ्लाइट पाठ्यक्रम आदि तैयार करने होते हैं।
उड़ान से पहले पायलट और उनकी टीमों को मौसम-विज्ञान की रीडिंग, उपकरण की स्थिति, वायुदाब और वायुयान के भीतर का तापमान दो बार जांचना पड़ता है। ये लोग विमान की यांत्रिक एॅरोनॉटिकल तथा इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग क्षेत्र में विशेषज्ञ होते हैं। पायलट को यह भी सुनिश्चित करना पड़ता है कि वायुयान का भार समुचित रूप से संतुलित तथा इष्टतम है। दूसरे शब्दों में, पायलट सुचारु उड़ान, यात्रा एवं विमान उतरने की प्रक्रिया के लिए जिम्मेदार होता है।
इसके कार्यक्षेत्र में सहायक पायलट, कर्मीदल की संक्षिप्त जानकारी देना शामिल है। वह रिफ्यूलिंग और कार्गो/सामान रखने (लोडिंग) का पर्यवेक्षण करता है। पायलट को फ्लाइट के दौरान तनाव के दौर से गुजरना पड़ता है। विमान के उपकरण अति आधुनिक होते हैं और जरा सी त्रुटि जानलेवा साबित हो सकती है।
पायलट को यंत्रों एवं कंट्रोल बोर्ड पर प्रस्तुत डाटा का विश्लेषण करना पड़ता है। वह अति आधुनिक कम्प्यूटर की सहायता से यह कार्य करता है। उड़ान के सर्वाधिक जटिल पहलू- उड़ान भरना तथा जमीन पर उतरना है। पायलट को उड़ान के दौरान मौसम की स्थितियों या तकनीकी रुकावटों के आधार पर समायोजन करना होता है।
वाणिज्यिक पायलट का प्रारंभिक वेतन काफी अच्छा होता है। यह राशि एयरलाइन और उड़ान घंटों पर निर्भर करती है। बाद में आय की कोई सीमा नहीं है। उच्च वेतन के अलावा पायलट अनेक विशेष सुविधाओं का भी हकदार है, जैसे ड्यूटी के समय नि:शुल्क आवास सुविधा, उसके एवं परिवार के लिए बिना टिकट विश्व में कहीं भी घूमने की सुविधा आदि। चूंकि पायलट का कार्य जटिल होता है, अत: उसमें आत्मविश्वास, धर्य एवं शांत स्वभाव जैसे गुण होने चाहिए। अच्छा स्वास्थ्य, आरोग्यता, सामान्य नेत्र दृष्टि आदि महत्वपूर्ण अर्हताएं हैं।
वाणिज्यिक उड़ान का लाइसेंस लेना इच्छुक/भावी पायलट की पूर्व अपेक्षा है। विद्यार्थी पायलट लाइसेंस किसी पंजीकृत उड़ान क्लब से लेना चाहिए। यह क्लब वाणिज्यिक विमानन के महानिदेशक कार्यालय से जुड़ा होता है। एस.पी.एल.लेने के बाद आप प्राइवेट पाइलट का लाइसेंस लेते हैं, इसके बाद वाणिज्यिक पायलट लाइसेंस (सीपीएल) मिलता है। सी.पी.एल. वाणिज्यिक पायलट की अंतिम पात्रता है।
एस.पी.एल. प्राप्त करने के लिए प्रत्येक राज्य में फ्लाइंग क्लबों द्वारा आयोजित सैद्धांतिक परीक्षा देनी होती है। इस परीक्षा में वायु-नियंत्रण, विमानन-मौसम विज्ञान, वायु-संचालन आदि विषय शामिल हैं। प्रत्याशी की आयु सोलह वर्ष हो तथा उसने दसवीं कक्षा उत्तीर्ण कर ली हो। इन मूलभूत शर्तो के अलावा प्रत्याशी चिकित्सा प्रमाण-पत्र देना होता है, साथ ही सुरक्षा संबंधी अनुमति एवं दस हजार रुपए की बैंक गारंटी देनी होती है।
प्रत्याशियों को परीक्षा से एक मास पूर्व अपना नाम लिखाना पड़ता है। लिखित परीक्षा में चयन हो जाने पर उन्हें साक्षात्कार देना होता है। दोनों स्तरों पर परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद चिकित्सा परीक्षा ली जाती है। वायुसेना की केंद्रीय चिकित्सा स्थापना बंगलौर के पास आरोग्यता प्रमाण-पत्र देने का अंतिम प्राधिकार है। चिकित्सा परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद व्यक्ति को एस.पी.एल. मिलता है।
एस.पी.एल. मिलने के बाद शिक्षक द्वारा प्रारंभिक फ्लाइंग प्रशिक्षण दिया जाता है। इसमें पंद्रह घंटे की उड़ानें शामिल हैं। इसके बाद प्रत्याशी स्वतंत्र रूप से हवाई जहाज उड़ाता है। कुल साठ घंटे की अवधि तक उड़ान भरना जरूरी है, जिसमें से बीस घंटे अकेले उड़ान भरनी है तथा पांच घंटे क्षेत्र से पार उड़ान भरनी होती है।
पी.पी.एल. की पात्रता सत्रह वर्ष की आयु तथा +2 परीक्षा है। पी.पी.एल. प्राप्त करने के बाद ही सी.पी.एल. मिल सकता है। अधिकांश फ्लाइंग क्लब एक सौ नब्बे घंटे का व्यावहारिक उड्डयन अनुभव प्रदान करते हैं, जिसमें यथा विनिर्दिष्ट अकेले फ्लाइंग से लेकर क्षेत्र पार मापन यंत्र (इंस्ट्रूमेंट) तथा रात के दौरान उड़ान भरना शामिल है। सी.पी.एल. की परीक्षा के बाद प्रत्याशी को दो सौ पचास घंटे की फ्लाइंग पूरी करनी होती है, जिसमें पी.पी.एल. के साठ घंटे शामिल हैं।
डी.जी.सी.ए. के अनुसार अपेक्षित है कि सी.पी.एल. आवेदक के पास लाइसेंस की बोली (बिड) की तारीख तक कम से कम छह मास में दस घंटों का फ्लाइंग अनुभव होना चाहिए। इन दस घंटों की फ्लाइंग में कम से कम पांच घंटे रात्रि की उड़ानें हों और दस उड़ानें भरने तथा जमीन पर जहाज उतारने का अनुभव हो।
भारत में दो प्रमुख एयरलाइंस हैं। इंडियन एयरलायंस घरेलू सरकारी एयरलायंस है तथा दूसरी एयर इंडिया है। इसके अलावा प्राइवेट घरेलू एयरलाइंस हैं, जैसे - जैट एयरवे और सहारा। इन एयरलाइंस के अलावा यूनाइटेड एयरलाइंस, लुफ्थांसा, के.एल.एम.जे.ए.एल. जैसी अन्य विश्व की प्रमुख एयरलाइंस हैं। भारत में वाणिज्यिक पायलट की रोजगार संभावनाएं काफी व्यापक हैं -
भारत में निम्नलिखित फ्लाइंग संस्थान हैं -
पूर्वी क्षेत्र
1. फ्लाइंग ट्रेनिंग इंस्टीच्यूट बहाला, कोलकाता - 700 060।
2. जमशेदपुर को-ऑपरेटिव फ्लाइंग क्लब लि., सांसी हवाई अड्डा, जमशेदपुर।
3. बिहार फ्लाइंग इंस्टीच्यूट, सिविल एयरोड्रॉम, पटना।
4. गवर्नमेंट एविएशन ट्रेनिंग इंस्टीच्यूट, सिविल एयरोड्रॉम, भुवनेश्वर।
5. असम फ्लाइंग क्लब, गुवाहाटी एयरपोर्ट, गुवाहाटी, असम
पश्चिमी क्षेत्र
1. मुंबई फ्लाइंग क्लब, जुहू एयरोड्रॉम, सांताक्रूज (पश्चिम) मुंबई।
2. राजस्थान स्टेट फ्लाइंग स्कूल, सांगनेर एयरपोर्ट, जयपुर।
3. नागपुर फ्लाइंग क्लब, सोनगांव एयरोड्रॉम, नागपुर।
4. फ्लाइंग क्लब, सिविल एयरोड्रॉम, हांसी रोड, बडोदरा।
5. अजंता फ्लाइंग क्लब, औरंगाबाद।
उत्तरी क्षेत्र
1. स्कूल ऑफ एविएशन, साइंस एंड टेक्न ोलॉजी दिल्ली फ्लाइंग क्लब लिमिटेड, सफदरजंग एयरपोर्ट, नई दिल्ली।
2. गवर्नमेंट फ्लाइंग क्लब, एयरोड्रॉम, लखनऊ।
3. स्टेट सिविल एविएशन, उ.प्र. गवर्नमेंट फ्लाइंग ट्रेनिंग सेंटर, कानपुर और वाराणसी।
4. पटियाला एविएशन क्लब, पटियाला पंजाब।
5. एम.पी. फ्लाइंग क्लब, सिविल एय रोड्रॉम, भोपाल।
6. करनाल एविएशन क्लब, कुंजपुर रोड, करनाल हरियाणा।
दक्षिणी क्षेत्र
1. गवर्नमेंट फ्लाइंग ट्रेनिंग स्कूल, जाकुर एयरोड्रॉम, बंगलौर।
2. आंध्र प्रदेश फ्लाइंग क्लब, हैदराबाद एयरपोर्ट।
3. मद्रास फ्लाइंग क्लब लि. सिविल एयरपोर्ट, चेन्नई।
4. कोयंबतूर फ्लाइंग क्लब लि., सिविल एयरोड्रॉम, कोयंबूतर।
5. करेल एविएशन ट्रेनिंग सेंटर, सिविल एयरोड्रॉम, फेहाह, तिरुवनंतपुरम।
प्राइवेट फ्लाइंग स्कूल
1. उड़ान, इंदौर।
2. अहमदाबाद एविशन अकादमी।
3. ऑरिएंट फ्लाइट स्कूल, सेंट थॉमस माउंट मद्रास।
4. बंगलौर एयरोनॉटिक्स एंड टेकि्न कल सर्विस, बंगलौर।
(करियर संबंधी और अधिक जानकारी के लिए देखिए ग्रंथ अकादमी, नई दिल्ली से प्रकाशित ए. गांगुली और एस. भूषण की पुस्तक "अपना कैरियर स्वयं चुनें"।)
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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