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By Staff
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नई दिल्ली, 30 जुलाई (आईएएनएस)। इंस्टीच्यूशन ऑफ कास्ट एंड वर्क्‍स एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीडब्ल्यूएआई) देश के आर्थिक, औद्योगिक एवं वाणिज्यिक विकास के लिए जनशक्ति प्रदान करने वाला सक्रिय और प्रमुख व्यावसायिक संस्थान है।

वित्तीय प्रबंधन क्षेत्र, पारंपरिक लेखाकरण तथा लेखा परीक्षा में बदलाव के साथ अर्थव्यवस्था के उदारीकरण की प्रासंगिकता है। अब समय आ गया है, जब लागत और प्रबंधन लेखाकार को कम वित्तीय तथा भूमि संसाधनों का इष्टतम प्रयोग करना है। साथ ही अपने संगठनों की वृद्धि कार्यनीति संबंधी निर्णय लेने हैं।

संसद अधिनियम के तहत चार दशक पूर्व लागत और संकार्यो के लेखाकार-प्रोफेशन की जननी आईसीडब्ल्यूएआई संस्था की स्थापना की गई थी। इसका उद्देश्य भारत में लागत एवं प्रबंधन लेखा-पद्धति का विकास और नियमन करना है। तथापि सबसे पहले द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान वर्ष 1944 में सीमित (लिमिटेड) कंपनी के रूप में इस संस्थान की स्थापना की गई थी।

इस संस्थान के सदस्यों और विद्यार्थियों की दृष्टि से वास्तव में प्रगति हुई थी। पहले यहां एक सौ तीस सदस्य थे और एक हजार से भी कम विद्यार्थी, लेकिन आज यहां तेईस हजार सदस्य हैं और एक लाख 50 हजार विद्यार्थी। संघ सरकार ने लागत और प्रबंधन लेखाकारों का महत्व समझा है, इसलिए वर्ष 1982 में भारतीय लागत लेखा सेवा के नाम से अखिल भारतीय संवर्ग (कैडर) तैयार किया गया।

आईसीएएस केंद्र सरकार की प्रथम श्रेणी की सेवाओं के समतुल्य है तथा ये अधिकारी विभिन्न वित्तीय और कर संबंधी मामलों में सलाह देते हैं।

सत्रह वर्ष की आयु का कोई भी व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में स्नातक के बाद छात्र के रूप में इस संस्थान के इंटरमीडिएट पाठ्यक्रम में नाम पंजीकृत करा सकता है। यहां तक कि स्नातक की परीक्षा के परिणामों की प्रतीक्षा करनेवाले भी इंटरमीडिएट पाठ्यक्रम में अस्थायी आधार पर प्रवेश के लिए आवेदन कर सकते हैं। जिन छात्रों के पास स्नातक डिग्री की योग्यता नहीं है, लेकिन बारहवीं परीक्षा उत्तीर्ण कर चुके हैं, वे भी इस कोर्स में अपना नाम लिखवा सकते हैं, किंतु उन्हें इंटरमीडिएट परीक्षा के लिए विद्यार्थी के रूप में प्रवेश से पहले फाउंडेशन पाठ्यक्रम की परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी।

फाउंडेशन पाठ्यक्रम, इंटरमीडिएट तथा फाइनल परीक्षाएं प्रति वर्ष दो बार - जून और दिसंबर में पूरे भारत में साठ केंद्रों और विदेशों में सात केंद्रों में आयोजित होती हैं।

फाउंडेशन पाठ्यक्रम में निम्नलिखित पेपर होते हैं - व्यवसाय के मूलभूत सिद्धांत और अर्थशास्त्र, प्रबंधन और संगठन, आधारभूत गणित और सांख्यिकी, वाणिज्यिक विधि।

इंटरमीडिएट परीक्षा में निम्नलिखित विषय होते हैं -

1. इंटरमीडिएट अवस्था - वित्तीय लेखाकरण, लागत लेखाकरण, कॉरपोरेट विधि और सचिवीय पद्धति, प्रत्यक्ष कर प्रणाली।

2. इंटरमीडिएट अवस्था - लागत और प्रबंधन लेखा प्रणाली, लेखा परीक्षा, अप्रत्यक्ष कर प्रणाली और परिमाणात्मक विधियां।

फाइनल परीक्षा में निम्नलिखित विषय होते हैं -

1. अंतिम अवस्था - उन्नत वित्तीय लेखा प्रणाली, सूचना प्रौद्योगिकी एवं कंप्यूटर अनुप्रयोग, प्रचालन प्रबंधन और नियंत्रण, परियोजना प्रबंधन और नियंत्रण

2. फाइनल अवस्था -उन्नत प्रबंधन लेखा प्रणाली की तकनीकें और अनुप्रयोग, उन्नत वित्तीय प्रबंधन, उन्नत प्रबंधन लेखा प्रणाली, कार्यनीतिपरक प्रबंधन, लागत लेखा परीक्षा।

आईसीडब्ल्यूएआई परीक्षाएं प्रवीणता संबंधी उच्च मानकों वाली समझी जाती हैं। योग्य एवं अनुभवी लागत तथा प्रबंधन लेखाकारों की ट्रेड और उद्योग तथा अन्य संगठनों में वरिष्ठ एवं मध्य स्तर के कार्यपालक पदों पर हमेशा मांग रहती है।

(करियर संबंधी और अधिक जानकारी के लिए देखिए ग्रंथ अकादमी, नई दिल्ली से प्रकाशित ए. गांगुली और एस. भूषण की पुस्तक "अपना कैरियर स्वयं चुनें"।)

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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