अफ्रीकी मछली के शल्क से बनेगा सैनिकों के लिए कवच!
वाशिंगटन, 30 जुलाई (आईएएनएस)। सैनिकों के कवच निर्माण के लिए अमेरिका के इंजीनियर एक अफ्रीकी मछली के शल्कों का अध्ययन कर रहे हैं।
पोलीपेटेरस सेनगलस नामक यह मछली अपने त्वचीय शल्क का उपयोग बड़ी कुशलता के साथ कवच के रूप में करती है। मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट टेक्न ोलाजी के इंजीनियरों का कहना कि इस मछली के शल्क कई पदार्थो के निश्चित क्रम में समन्वय से बने हैं।
जर्नल 'नेचर मैटीरियल्स' के 27 जुलाई के प्रकाशित अंक में शोधकर्ताओं का कहना है कि 16-16 इंच की शिकारी मछली में शल्कों की कई परत होती है। प्रत्येक शल्क की चौड़ाई मानव बाल के 100 गुना होती है। शल्कों का कवच इसे अन्य जीवों के हमले से बचाता है।
शोध का नेतृत्व कर रही क्रिस्टीना ओरटिज ने कहा कि इस विषय में कुछ आधारभूत जानकारी से जैविक तत्वों पर आधारित पदार्थो के विकास को बढ़ावा मिलेगा।
इंजीनियर इस मछली के शल्कों, हड्डियों और दांत में उपस्थित पदार्थो की जांच कर रहे हैं। सभी पदार्थो की अलग-अलग रासायनिक संरचना, आकार और मोटाई तथा परतों के बीच उनका जुड़ाव कवच की शक्ति में बढ़ोतरी करता है।
शिकागो फील्ड म्यूजियम के जीवविज्ञान के क्यूरेटर लियो स्मिथ ने कहा कि हजारों साल से बनी वस्तुओं की जानकारी आज के समय की आवश्यकता का प्रारंभिक बिंदु हो सकता है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।