विश्व व्यापार संगठन की दोहा दौर की वार्ता टूटी
जेनेवा, 30 जुलाई (आईएएनएस)। विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की दोहा दौर की वार्ता कृषि बाजार खोलने के मुद्दे पर अमेरिका सहित विकसित देशों और भारत तथा चीन सहित अन्य विकासशील देशों के बीच गहरे मतभेदों के कारण मंगलवार को बिना किसी नतीजे के समाप्त हो गई।
जेनेवा में एकत्र करीब 40 देशों के प्रतिनिधि कृषि उत्पादों के अंतर्राष्ट्रीय बाजार से नियंत्रण समाप्त करने के मुद्दे पर कोई सहमति बनाने में असफल रहे। अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि सुसन श्वाब ने इसे बहुत निराशाजनक मोड़ बताया।
दोहा दौर की वार्ता सात वर्ष पूर्व कतर की राजधानी में शुरू की गई थी। डब्ल्यूटीओ के तत्वाधान में शुरू इस वार्ता का उद्देश्य मुक्त व्यापार के लिए सभी देशों के बीच एक सर्वमान्य समझौते तक पहुंचना था।
यूरोपीय संघ ने मंगलवार को सभी प्रतिनिधियों से किसी सहमति पर पहुंचने की अपील की। उसके व्यापार आयुक्त पीटर मेंडलसन ने वार्ता असफल होने की संभावना व्यक्त कर दी थी।
दोहा दौर की वार्ता में विवाद का प्रमुख कारण भारत और चीन द्वारा अपने किसानों के हितों की रक्षा के लिए कृषि बाजार नहीं खोलेने पर अड़ना है।
दोनों देशों का कहना है कि वे करीब 100 विकासशील देशों की ओर से बोल रहे हैं। ये देश सस्ते कृषि आयातों से विकासशील देशों के किसानों की रक्षा के लिए नियम बनाने का आग्रह कर रहे हैं।
ब्राजील के विदेशमंत्री सेस्लो अमोरिम ने डब्ल्यूटीओ वार्ता में शामिल प्रतिनिधियों से अपनी राजनीतिक जिम्मेदारी निभाने की अपील की।
वार्ता की असफलता के लिए भारत और चीन को जिम्मेदार ठहराते हुए अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि सुसन श्वाब ने कहा कि इन्होंने कड़ी मेहनत से तैयार समझौता प्रस्ताव को कम करके आंका। उन्होंने अमरिका द्वारा कपास पर सब्सिडी में की गई कमी का विशेष उल्लेख किया।
वार्ता में शामिल कुछ प्रतिनिधियों ने भारत और चीन के दृष्टिकोण से सहानुभूति प्रकट करते हुए कहा कि व्यापार नियमों से इन देशों के करोड़ों गरीब किसानों की स्थिति मजबूत होनी चाहिए न कि कमजोर।
अधिकांश विकासशील देश भारत और चीन के रुख का समर्थन करते हैं।
नवंबर 2001 में कतर की राजधानी दोहा में शुरू हुई वार्ता में वर्षो से गतिरोध कायम है। यह गतिरोध केवल डब्ल्यूटीओ के 153 देशों के बीच आम सहमति से किसी समझौते के बाद ही समाप्त हो सकता है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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