रिश्वत कांड की जांच संसदीय समिति से कराना व्यर्थ : जेठमलानी
नई दिल्ली, 30 जुलाई (आईएएनएस)। विश्वास मत का बहिष्कार करने के एवज में रिश्वत दिए जाने संबंधी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के तीन सांसदों के आरोपों की जांच के लिए लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी द्वारा गठित सात सदस्यीय समिति के औचित्य पर वरिष्ठ कानूनविद राम जेठमलानी ने सवाल उठाए हैं।
नई दिल्ली, 30 जुलाई (आईएएनएस)। विश्वास मत का बहिष्कार करने के एवज में रिश्वत दिए जाने संबंधी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के तीन सांसदों के आरोपों की जांच के लिए लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी द्वारा गठित सात सदस्यीय समिति के औचित्य पर वरिष्ठ कानूनविद राम जेठमलानी ने सवाल उठाए हैं।
जेठमलानी के मुताबिक संसदीय समिति को जांच का काम सौंपना समय की बर्बादी करने जैसा है। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी से इस मामले की जांच संवैधानिक अधिकार संपन्न किसी जांच एजेंसी से कराने का आग्रह किया।
'सांसदों के नैतिक अवमूल्यन' पर आयोजित एक परिचर्चा में शिरकत करते हुए जेठमलानी ने कहा, "रिश्वत मामले की जांच के लिए गठित संसदीय समिति कुछ भी नहीं कर सकती। इससे सिर्फ समय की बर्बादी होगी। इस मामले की जांच वैधानिक अधिकार संपन्न किसी जांच एजेंसी से या फिर मजिस्ट्रेट स्तर पर कराई जानी चाहिए।"
जेठमलानी ने मंगलवार को लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी को पत्र लिखकर आग्रह किया कि वे किसी भी सूरत में न तो रिश्वत कांड से संबंधित कथित वीडियो किसी को दें और न ही सीएनएन-आईबीएन को इसके प्रसारण की अनुमति दें।
उन्होंने कहा, "लोकसभा अध्यक्ष को उन राजनीतिक दल के दबाव में नहीं आना चाहिए जो वीडियो टेप सार्वजनिक किए जाने की मांग कर रहे हैं। यह टेप तभी सार्वजनिक किया जाए जब संबंधित आरोपी, पीड़ित और प्रत्यक्षदर्शियों के बयान दर्ज हो जाएं।"
उल्लेखनीय है कि विश्वत मत के दौरान नोटों की गड्डियां लहराने वाले भाजपा के तीन सांसदों अशोक अर्गल, फग्गनसिंह कुलस्ते और महावीर भगोरा ने सत्ताधारी गठबंधन के नेताओं पर रिश्वत दिए जाने के आरोप लगाए थे।
लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने इस मामले की जांच के लिए वी. किशोर चंद्र देव की अध्यक्षता में सात सदस्यीय समिति का गठन किया था। बुधवार को इस समिति की पहली बैठक हुई।
इन तीनों सांसदों ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल और समाजवादी पार्टी (सपा) के महासचिव अमर सिंह पर रिश्वत देने के आरोप लगाए थे। भाजपा सांसदों का कहना है कि विश्वास मत का बहिष्कार करने के एवज में उन्हें नौ करोड़ रुपये की रिश्वत देने की पेशकश की गई थी, जिसमें से एक करोड़ रुपये उन्हें पेशगी के तौर पर दिए गए।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।